F राम कथा हिंदी में लिखी हुई-6 shri ram katha hindi mein - bhagwat kathanak
राम कथा हिंदी में लिखी हुई-6 shri ram katha hindi mein

bhagwat katha sikhe

राम कथा हिंदी में लिखी हुई-6 shri ram katha hindi mein

राम कथा हिंदी में लिखी हुई-6 shri ram katha hindi mein

 राम कथा हिंदी में लिखी हुई-5 shri ram katha hindi mein

राम कथा हिंदी में लिखी हुई-5 shri ram katha hindi mein

जब सभी देवताओं ने भगवान शंकर की बड़ी सुंदर स्तुति की तो भगवान शंकर प्रसन्न हो गए। तब कृपा के सागर भगवान शंकर ने कहा है की कहिए देवताओं आप लोगों का आना किस कारण से हुआ है? देवताओं में निवेदन किया की हे नाथ आप तो अंतर्यामी हैं हम किस लिए आए हैं वह आप भली भांति प्रकार से जानते हैं, हमारा मनोरथ पूर्ण कीजिए नाथ यही आपके चरणों में प्रार्थना है।

निज नयनन्हि देखा चहहिं नाथ तुम्हार बिबाहु।

हे प्रभु हम अपने इन आंखों से आपका सुंदर विवाह देखना चाहते हैं। हे प्रभु आपको पति रूप में प्राप्त करने के लिए माता पार्वती बड़ा दारुण तप कर रही हैं तो आप उनकी तपस्या को पूर्ण कीजिए और उनको स्वीकार कीजिए। भगवान शंकर देवताओं की विनय प्रार्थना को सुनकर प्रसन्न हो गए और आशीर्वाद दिया कि आप लोग जो चाहते हैं वही होगा। इतना सुनकर देवता प्रसन्न हो गए धुंधभी बजाने लगे, सुमन वृष्टि करने लगे भगवान शिव की जय जयकार करने लगे।

देवताओं के मन में एक शंका हुई देवताओं ने ब्रह्मा जी से कहा जब इनको विवाह करना था तो काम को क्यों जलाया? क्योंकि विवाह में काम की आवश्यकता होती है। ब्रह्मा जी ने कहा पूछता हूं। ब्रह्मा जी आए भगवान शिव से पूंछे की देवता कह रहे हैं कि जब विवाह करना था तो काम को क्यों जलाया?

तब भगवान शंकर मुस्कुराए और ब्रह्मा जी से बोल- हे ब्रह्मा जी देवताओं से जाकर कह दो मेरे विवाह में काम की आवश्यकता नहीं है। जिसके विवाह में होती होगी होती रहे। क्योंकि मैं काम की प्रेरणा से विवाह करने नहीं जा रहा हूं। मैं अपने राम की प्रेरणा से विवाह करने को जा रहा हूं। इसीलिए मेरे विवाह में राम चाहिए काम नहीं चाहिए।

इधर भगवान की प्रेरणा से सप्त ऋषि पहुंचे हैं तो भगवान शंकर ने माता पार्वती की परीक्षा लेने के लिए सप्त ऋषियों को भेज दिया। सप्त ऋषि वहां पहुंच गए जहां माता घोर तपस्या कर रहे थी और जाकर अनेकों विधि से उन्होंने पार्वती जी की परीक्षा लिया। सप्तर्षियों ने भगवान शिव की ही प्रेरणा अनुसार अनेक प्रकार से शिव को छोटा बताते हुए शिव में कई दोष गिनाये। और कहा कि तुम किसी अच्छे देवता से विवाह कर लो सुखी रहोगी। तब माता ने बस यही कहा-

जन्म कोटि लगि रगर हमारी। बरउँ शंभु न ता रहउँ कुमारी।।

हे ऋषियों मैं जन्म जन्म में केवल शिवजी की ही भक्ति करूंगी और पति रूप में केवल उन्हीं को वरण करूंगी नहीं तो मैं कुमारी ही रहूंगी।माता पार्वती जी का शिव जी के चरणों में अविचल प्रेम देखकर सप्त ऋषि भी प्रसन्न हो गए। और भवानी को सर झुका कर प्रणाम कर वहां से चल दिए। इधर सप्तर्षियों ने जाकर मैना और हिमाचलराज से जाकर पूरी घटना सुनाई। सज्जनो भगवान शंकर के विवाह का मुहूर्त लग्न निकल आया है। फिर हिमाचल राज ने वह लग्न पत्रिका सप्तर्षियों को दिया। वह लग्न पत्रिका सप्त ऋषि लेकर आए और ब्रह्मा जी को दिए हैं।

ब्रह्मा जी उस पत्रिका को पढ़ते ही उनके हृदय में आपार प्रसन्नता हुई उन्होंने वह लग्न पत्रिका पढ़कर सबको सुनाया। उसे सुनकर मुनि और देवताओं का समाज हर्षित हो गया। आकाश से फूलों की वर्षा होने लगी बाजे बजने लगे और दसों दिशाओं में मंगल कलश सजा दिए गए। सभी देवता अपने भांति भांति के विमान सजाने लगे।

शिव जी के गण भी प्रसन्न होकर अपने स्वामी का श्रृंगार करने लगे। सभी गण शिवजी को सजाने लगे। गणों ने भगवान शिव को दूल्हा बना दिया। जैसा दूल्हा भगवान शंकर बने हैं वैसा दूल्हा अब अगर किसी को बना दिया जाए तो उसका विवाह ही नहीं होगा। ऐसा साज सज्जा भगवान शंकर के गणों ने किया है उसकी छवि लिए देखते हैं-

सिवहिं संभु गन करहिं सिंगारा। जटा मुकुट अहि मौरु सँवारा।।
कुंडल कंकन पहिरे ब्याला। तन बिभूति पट केहरि छाला।।
ससि ललाट सुंदर सिर गंगा। नयन तीनि उपबीत भुजंगा।।

भोलेनाथ की बड़ी-बड़ी जटा हैं उन्हीं जटाओं का बढ़िया मुकुट बना दिया। सांपों का मौर सजा दिया। शिव जी के कानों मे छोटे-छोटे दो नाग लटका दिए वह कुंडल बन गए। पूरे शरीर पर भोले बाबा के भभूति लगा दिया। वस्त्र की जगह पर बाघंबर लपेट दिया। गणों ने भगवान शंकर को दूल्हा बना कर तैयार कर दिया। अब इधर दूल्हा ने सोचा कि जरा बारातियों को देखें कि तैयार हुए कि नहीं। और जैसे ही भोले बाबा ने बारातियों की ओर मुह करके देखा-

कोउ मुखहीन बिपुल मुख काहू। बिनु पद कर कोऊ बहु पद बाहू।।
बिपुल नयन कोउ नयन बिहीना। रिष्ट पुुष्ट कोई अति तन खीना।।

सज्जनो भगवान शिव के बाराती कैसे हैं कोई बिना मुख का है तो किसी के अनेक मुख हैं, कोई बिना हाथ पैरों का है तो किसी के पूरे शरीर में हाथ पर ही हैं, किसी के कई आंखें हैं तो किसी के एक अभी आंखें नहीं है, कोई बहुत मोटा है तो कोई धागा के समान पतला है। इस विचित्र बरात देखकर भगवान शंकर ने गणो से कहा कि सुनो तुम लोग चाहते नहीं हो क्या कि हमारा विवाह हो ? गणों ने कहा क्यों ? शंभू नाथ ने कहा कि अरे ऐसी बरात देखकर कौन अपनी बेटी देगा? शिव गणों ने कहा प्रभु सुनिये हम आपको अटपटे लग रहे हैं।

जस दूलहु तसि बनी बराता। कौतुक बिबिध होहिं मग जाता।।

जैसा दूल्हा है वैसे ही बारात बन गई रास्ते में चलते-चलते कई तरह के विचित्र कौतुक भी करते जा रहे हैं।  इधर हिमाचल राज ने बड़ा विचित्र मंडप बनाया है जिसका वर्णन नहीं हो सकता। सज्जनों जगत में जितने भी पर्वत थे छोटे हो या बड़े जितने वन, समुद्र, नदियां, तालाब थे हिमाचल ने सबको निमंत्रण भेजा। सब अपने परिवार समेत हिमाचल के घर पधार गए हैं सभी स्नेहा बस मंगल गीत गा रहे हैं।  बारातियों के स्वागत सत्कार के लिए हिमाचल पर्वत ने बड़ा ही भव्यता के साथ तैयारी कर रखी है, इधर दूल्हा के साथ सारे बाराती हिमाचल नगरी पर पहुंच गए। भगवान शंकर का श्रृंगार तो विचित्र है ही उससे बढ़कर के विचित्र उनके बाराती हैं जितने भी भूत प्रेत पिशाच सब बाराती बनकर महादेव जी के आगे पीछे नाच रहे हैं। 

बारात नगर के निकट जब पहुंच गई हिमाचल नगरी वालों को यह सूचना मिली की बारात नगर में आ चुकी है।  सब बड़े प्रसन्न हुए स्वागत सत्कार करने के लिए तैयार खड़े हो चुके। अच्छा बारात देखने के लिए माताएं बड़ी आतुर रहती हैं तो माताओं ने छोटे-छोटे बच्चों से कहा कि अरे जाकर देख कर आओ दूल्हा कितना सुंदर है? कैसा लगता है बताना? बाराती कैसे हैंबच्चे भागे भागे गए बारात देखने के लिए और इधर जैसे ही बारात को देखे हैं तो अपने अपने प्राणों को बचाकर वहां से भागे हैं। वह बच्चे आकर अपनी अपनी मां के गोद में बैठ गए हैं। माताओं ने पूछा कि अरे बरात नहीं आई क्याबच्चों ने कहा अरी मैया बारात नहीं आई है। कुछ और आई है। माता ने कहा क्या? उन बच्चों ने कहा अरे भूत प्रेतों की टोली आई हुई है। 

भजन- भोजपुरी / बर बौराह बाटे बैला पा बैठा। देखि के बरात सब लोग भागता। 

बच्चों ने कहा कि अरे क्या बताएं बारात की बात को यह बारात है कि यमराज की सेना है। दूल्हा तो पूरा पागल है वह बैल पर सवार है और अपने गले में बहुत सारे सर्प डाले हुए हैं। छोटे-छोटे सांपों को दोनों कानों में लटकाये है। पूरे शरीर में राख लगाए हुए है। लड़कों ने बारात का वर्णन करते हुए कहा-

तन छार ब्याल कपाल भूषन नगन जटिल भयंकरा।

सँग भूत प्रेत पिसाच जोगिनि बिकट मुख रजनी चरा।।

जो जिअत रहिहि बरात देखत पुन्य बड़ तेहि कर सही।

देखिहि सो उमा बिबाहु घर घर बात अस लरिकन्ह कही।।

दूल्हा पूरे शरीर में राख लपेटे है, शरीर पर कपड़े भी नहीं है संग में बाराती ऐसे लिया है जिनको देख करके ही लोगों के प्राण चले जाएं। भूत प्रेत पिशाच जिनका रूप बड़ा विकट है ऐसे बाराती हैं। बारातियों को देखने के बाद जो बचेगा वही भागवानी होगा। वही विवाह को देख पाएगा होते हुए। बच्चों की बात सुनकर माता-पिता मुस्कुराए और उनको बोले कि अरे बच्चों निडर हो जाओ डरने की कोई बात नहीं। इधर सभी हिमाचल वासियों ने शिवजी का सभी बारातियों का स्वागत सत्कार किया है। सभी बारातियों को जनवास में सुखपूर्वक ठहराया है। 

बरात आने वाली है यह जानकर मैया मैं ने आरती की थाल सजाई है। उनके साथ की स्त्रियां मंगल गीत गाने लगी। सुंदर हाथों में सोने की थाली लेकर के मैनी बड़ी प्रसन्नता के साथ शिवजी का परिछन करने के लिए चली है। लेकिन जैसे ही उन्होंने दूल्हा को महादेव जी के वेश को देखा है मैया मैना सहित सभी स्त्रियां भय से भर गई। मैया मैना दूल्हे को देखकर रोने लगी  दुखी हो गई कहने लगी कि पुत्री पार्वती विधाता ने तुमको सुंदरता दी लेकिन उसने तुम्हारे लिए वर बावला कैसे बनाया है। चाहे कुछ भी हो जाए मैं तेरा विवाह इस बावले के साथ नहीं करूंगी। तब नारद जी ने भली भांति प्रकार से मैया मैना के संशय को दूर किया और उनको कष्ट से दुख से उबारा है। 

फिर मां जगदंबा पार्वती का और भोलेनाथ का धूमधाम के साथ वेदों में विहित रीति के अनुसार सुंदर विवाह हुआ है। अनेक प्रकार के बाजे बजने लगे देवता लोग नभ मंडल से पुष्पों की वर्षा करने लगे। शिव पार्वती जी का विवाह हो गया। सारे ब्रह्मांड में आनंद छा गया। अनेक दिनों तक बारात हिमाचल नगरी में रुकी और उसके बाद भगवान शंकर सभी बारातियों के साथ कैलाश चलने की तैयारी करने लगे। इसी समय मैंना आती हैं भगवान शंकर के चरणों में प्रणाम करके निवेदन करती हैं कि हे नाथ-

नाथ उमा मम प्रान सम गृहकिंकरी करेहु।
छमेहु सकल अपराध अब होइ प्रसन्न बरु देहु।।

यह पार्वती मेरे प्राणों के समान है आप इसके अपराध को क्षमा करते रहिएगा अपनी दासी समझकर। तब शिवजी अपनी सास को बहुत प्रकार से समझाया है कि वह बिल्कुल भी चिंता ना करें।

 राम कथा हिंदी में लिखी हुई-5 shri ram katha hindi mein


Ads Atas Artikel

Ads Center 1

Ads Center 2

Ads Center 3