संत की क्षमा / संतो के लक्षण और उनकी कृपा

!! संत हृदय नवनीत समाना !!

 * संत की क्षमा *

अयोध्या के एक वैष्णव संत नौका द्वारा सरयू पार करने की इच्छा से घाट पर आए ,
 वर्षा ऋतु का समय था  सरयू में बाढ़ आई थी घाट पर एक ही नौका थी उस समय और उनमे कुछ ऐसे लोग बैठे थे जैसे लोगों की इस युग में सर्वत्र बहुलता है |

किसी को भी कष्ट देने , किसी का परिहास्य करने में उन्हें आनंद आता था | साधुओं से तो वैसे ही उन्हें चिढ़ थी | कोई साधु उनके साथ नौका में बैठे यह उनको पसंद नहीं था , उनको देखते ही कहने लगेे यहां  स्थान नहीं है दूसरी नौका से आना सब का स्वर एक जैसा बन गया |
साधु पर व्यंग भी कैसे गये लेकिन साधु को पार जाना था नौका दूसरी थी नहीं , संध्या हो चुकी थी और रात्रि मैं कोई नौका मिल नहीं सकती थी |उन्होंने नम्रता से प्रार्थना की तो मल्लाह ने कहा एक और बैठ जाइए , नौका में पहले से बैठे अपने को सुसभ्य मानने वाले लोगों को झुंझलाहट तो बहुत हुई किंतु साधु को नौका में बैठने से वे रोक नहीं पाए |

अपना क्रोध उन्होंने साधु पर उतारना प्रारंभ किया साधु पहले से नौका के एक किनारे पर संकोच से बैठे थे उन पर व्यंग कैसे जा रहे थे इसकी इन्हें चिंता नहीं थी | वह चुपचाप भगवान का नाम जप करते रहे , नौका तट से दूर पहुंची किसी ने साधु पर जल उलीचा , किसी ने उनकी पीठ और गर्दन में हाथ से आघात किया | इतने पर भी जब साधु की शांति भंग नहीं हुई तो उन लोगों ने धक्का देकर साधु को बीच धारा में गिरा देने का निश्चय किया | 

वह धक्का देने लगे सच्चे संत की क्षमा अपार होती है , किंतु जो संतों के सर्वस्व हैं विश्वसमर्थ हैं वे जगनायक अपने जनों पर होते अत्याचार को चुपचाप से नहीं सह पाते | साधु पर होता हुआ अत्याचार  सीमा पार कर रहा था , आकाशवाणी सुनाई पड़ी ! महात्मन् आप आज्ञा दें तो इन दुष्टों को क्षण  भर में भस्म कर दिया जाए |
आकाशवाणी सब ने स्पष्ट सुनी अब ( काटो तो खून नहीं ) अभी तक जो शेर बने हुए थे उनको काठ मार गया जो जैसे थे वैसे ही रह गए भय के मारे दो क्षण  उनसे हिला तक नहीं गया | लेकिन साधु ने दोनों हाथ जोड़ लिए थे वे गदगद स्वर में कह रहे थे -

मेरे दयामय स्वामी आपके ही यह अबोध बच्चे हैं |

आप ही इनके अपराध क्षमा ना करेंगे तो कौन क्षमा करेगा | यह भूले हुये हैं आप इन्हें क्षमा करें  और यदि मुझ पर आपका स्नेह है तो मेरी यह प्रार्थना स्वीकार करें कि इन्हें सद्बुद्धि प्राप्त हो |  इनके दोष दूर हों |

आपके श्री चरणों में इन्हें  अनुराग प्राप्त हो |

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