Abstracts of Shrimad Bhagwat Geeta
गीता सुगीता कर्तव्या किमन्यैः शास्त्रविस्तरै:|
या स्वयं पद्मनाभस्य मुखपद्माद्विनिः सृता: ||
!! गीता ज्ञान है भगवान है सबसे महान है !!
यह गीता भगवान के मुख से निकली है अतः किसी को अन्य वैदिक साहित्य पढ़ने की आवश्यकता नहीं रहती| उसे केवल श्री गीता जी का ही अध्ययन ध्यानपूर्वक तथा मनोयोग से सुनना तथा पढ़ना चाहिए| वर्तमान में जो समय चल रहा है इसमें समस्त प्राणी सांसारिक कार्यों में इतना जकड़े जा चुके हैं कि वैदिक साहित्य का अध्ययन कर पाना संभव नहीं रह गया और इसकी आवश्यकता भी नहीं है| केवल एक पुस्तक श्रीमद्भगवद्गीता ही पर्याप्त है |गीता के माहात्म्य में कहा गया है-
भारतामृतसर्वस्वं विष्णुवक्त्राद्विनिः सृतम्|
गीता गङ्गोदकं पीत्वा पुनर्जन्म न विद्यते |
( गीता मा.5 )
Bhagwat geeta in hindi- गीता सार
कि भगवान के चरणों से निकली गंगा का जो सेवन करता है उसे मुक्ति मिलती है और आगे कहते हैं उसके लिए क्या कहा जाए जो भगवान कृष्ण के मुख से निकली गीता रूपी गंगा का सेवन करते हैं|यह गीतोपनिषद श्रीमद्भगवद्गीता जो समस्त उपनिषदों का सार है|यह गाय के समान है और ग्वाल बाल के रूप में विख्यात भगवान श्री कृष्ण इस गाय को दुह रहे हैं | अर्जुन बछड़े के समान हैं और सारे विद्वान और भक्त भगवत गीता के अमृतमय दूध का पान करने वाले हैं|
एकं शास्त्रं देवकीपुत्रगीतम्
एको देवो देवकीपुत्र एव |
एको मन्त्रस्तस्य नामानि यानि
कर्माप्येकं तस्य देवस्य सेवा ||
( गीता,मा.7 )
( गीता,मा.7 )
सज्जनों आज का जो यह युग चल रहा है इसमें लोग एक शास्त्र एक धर्म एक व्यक्ति के लिए बड़े उत्सुक रहते हैं, तो उनके लिए गीता परमोल्लास का विषय है| क्योंकि यह गीता ही है जो हमें ज्ञान कराती है कि केवल और केवल एक शास्त्र गीता ही है जो समस्त विश्व के लिए है, यह जगत का कल्याण करने वाली है | और सब पर परम कृपा करने वाले एकमात्र दयालु श्री कृष्ण हैं जिन्होंने-- ( मारने आयी राक्षसी पूतना को भी माता की गति प्रदान कर दिया ) तथा एक ही मंत्र है,वह मंत्र है कृष्ण रूपी महामंत्र यह गीता ही है जो हमें आत्म स्वरूप का बोध कराती है| हम भी उसी ब्रह्म अविनाशी के अंश हैं |
ईश्वर अंश जीव अविनाशी |
चेतन अमल सहज सुख राशी ||
Bhagwat geeta in hindi- गीता सार
क्योंकि जिस प्रकार मनुष्य पुराने वस्त्रों को त्याग कर नए वस्त्र धारण करते हैं ठीक उसी प्रकार यह आत्मा भी पुराने तथा व्यर्थ के शरीरों को त्याग कर नवीन भौतिक शरीर धारण करती है | जब जीवों को यह ज्ञान हो जाता है तब वह निश्चिंत हो जाता है क्योंकि उसे भली-भांति प्रकार से ज्ञान हो जाता है कि प्रत्येक व्यक्ति इस भौतिक शरीर रूपी रथ पर आरूढ़ है और बुद्धि इसका सारथी है, मन लगाम है तथा इंद्रियां घोड़े हैं | और इन्हीं मन तथा इंद्रियों की संगति से यह आत्मा सुख दुख का भोक्ता है | यह जो संपूर्ण चराचर जगत है यह त्रिगुण मई सृष्टि है-- ( सत,रज,तम ) तीनों गुण श्रीकृष्ण से ही उद्भूत हैं फिर भी भगवान श्रीकृष्ण उसके अधीन नहीं होते |
उन्ही भगवान श्री कृष्ण के वचन है जिन्हें अगर जीव जान ले और मान ले तो उसे परमात्मा की प्राप्ति हो जाती है उसका कल्याण हो जाता है |
➡ कि मैं समस्त आध्यात्मिक तथा भौतिक जगत का कारण हूं प्रत्येक वस्तु मुझसे ही उत्पन्न हुई है जो बुद्धिमान जीव यह भली-भांति जानते हैं | मेरी प्रेमा भक्ति में लगते हैं तथा हृदय से पूरी तरह मेरी पूजा में तत्पर होते हैं और यह जो भौतिक जगत रूपी वृक्ष है आध्यात्मिक जगत रूपी वास्तविक वृक्ष का प्रतिबिंब मात्र है इस भौतिक जगत रूपी वृक्ष में आसक्त रहने वाले मनुष्य की मुक्ति की कोई संभावना नहीं होती| लेकिन जो मनुष्य आध्यात्मिक जगत रूपी वृक्ष को समझ लेता है वह आत्मोन्नति कर सकता है|
समस्त प्राणियों को यह ज्ञान होना चाहिए मैं प्रत्येक जीव के हृदय में आसीन हूं और मुझसे ही स्मृति ज्ञान तथा विस्मृति होती है, मैं ही वेदों के द्वारा जानने योग्य हूं निसंदेह मैं वेदांत का संकलन कर्ता तथा वेदों को जानने वाला हूं |
Bhagwat geeta in hindi- गीता सार
➡ भगवान तो बड़े दयालु हैं वह अपने भक्तों से कहते हैं सदैव मेरा चिंतन करो मेरे भक्त बनो मेरी पूजा करो और मुझे नमस्कार करो इस प्रकार तुम निश्चित रूप से मेरे पास आओगे मैं तुम्हें वचन देता हूं क्योंकि तुम मेरे परम प्रिय मित्र हो भगवान का जो धाम है वह दिव्यातिदिव्य अवर्णनीय है|
Abstracts of Shrimad Bhagwat Geeta
!! गीता ज्ञान है भगवान है सबसे महान है !!
( श्री हरि )