मूर्खों के होते हैं यह लक्षण Definition of fool

||  मूर्खों के होते हैं यह लक्षण  ||

moorkh kee paribhaasha Definition of fool

moorkh kee paribhaashaDefinition of fool

➡ दोस्तों आपने मूर्ख शब्द तो सुना ही होगा यह शब्द ऐसा है कि जिसे भी कह दो उसे बुरा लग जाता है और मित्रों क्यों ना लगे बुरा यह शब्द ऐसा है ही कि उसे जिस जगह प्रयोग कर दिया जाए वहां अच्छा नहीं लगता  | मूर्ख की संज्ञा हमारे ऋषि मनीषियों ने बनाई है और यह उसके लिए बनाई गई है जोकि हमारे वेद धर्म ग्रंथ पुराण आदि के बताए हुए मार्ग को नहीं मानता या बताए हुए वाक्यों का पालन नहीं करता |

➡ आज हम आपको बताने जा रहे हैं एक इतिहास में घटित एक छोटी सी घटना मित्रों आपने महाराज भोज का नाम अवश्य सुना होगा जोकि एक महान राजा थे उन्होंने अपने शासनकाल पर एक भोज ताल नामक नगर बनाया वह नगर आज भी है पर आज वह भोपाल नाम से प्रसिद्ध है तो मित्रों महाराज भोज की जो धर्म पत्नी थी वह बड़ी है गुणवान थी और शास्त्रों की  जानकार थी एक बार की बात है कि वह अपने  पुरानी सखियों के साथ कुछ शास्त्रों की वार्ता बातचीत कर  रही थी पर बीच में महाराज भोज उसे भुलाने लगे रानी ने दो तीन बार इशारा किया बस 2 मिनट आ  रही हूं परंतु महाराज  लगातार उन्हें बुला रहे थे तो रानी को क्रोध आ गया अनायास ही उसके मुख से मूर्ख शब्द निकल गया |
राजा के लिए राजा ने सुना कि रानी ने मुझे मूर्ख कहा वह सोचने लगा कि मैं राजा हूं और मेरी यह सारी प्रजा है अगर राजा मूर्ख है तो फिर प्रजा भी  मूर्ख है !

दूसरे दिन उसने एक विशाल सभा का आयोजन किया और इसमें जो भी आता सभी को राजा कहता आइए मूर्ख जी  बैठे इस प्रकार सभी मंत्री सेनानायक सेवादार आते परंतु राजा से कुछ ना कहते चुपचाप बैठ जाते उन्होंने भी सोचा कि भाई हमारी राजा हैं इनसे क्या कहना लेकिन मित्रों उसी सभा में संस्कृत के महान विद्वान और महान कवि कालिदास जी का आगमन हुआ राजा ने कालिदास जी को भी ऐसे ही संबोधित करके कहने लगा कि आइए मुर्ख जी बैठिए कालिदास जी राजा को सावधान करते हुए कहने लगे कि राजन जबान संभाल कर बात करो तुम जानते हो मूर्ख की परिभाषा क्या है मूर्ख किसे कहते हैं राजा स्तब्ध रह गए तब कालिदास जी एक श्लोक के माध्यम से राजा से कहते हैं कि राजन सुनो मूर्ख के लक्षण क्या है

moorkh kee paribhaashaDefinition of fool

खादन्न गच्छामि हसन्नजल्पे
         गतन्न शोचामि कृतन्नमन्ये |
द्वाभ्यांतृतीयो न भवानि राजन
        किं कारणे भोज भवामि मूर्खः||

➡ राजन जो खाते हुए चलता है हंसते हुए जल पीता है जो समय बीत गया उसके बारे में सोचता है और सदा सोचता रहता है जब दो लोग आपस में बात करते हो तो बीच में बोलता हो उसे मूर्ख कहते हैं और राजन ऐसा तो मैंने कुछ कार्य नहीं किया फिर तुमने मुझे मूर्ख कैसे कहा राजा को अपनी गलती का एहसास हुआ उनके चरणों में प्रणाम किया और उनसे क्षमा मांगे उन्हें याद आ गया हां जब रानी बात कर रही थी सखियों से तब मैं बीच में बोल रहा था और उसे  गर्व महसूस हुआ कि मेरी पत्नी भी बहुत विद्वान है

moorkh kee paribhaashaDefinition of fool

➡ दोस्तों यही है मूर्खों के लक्षण  आप पढ़ने के बाद जरूर इसका पालन करेंगे मुझे विश्वास है अगर आपको यह  मेरा लेख अच्छा लगा हो मुझे जरूर बताएं और आपको किसी और विषय में प्रश्न करना है तो आप मुझसे प्रश्न कर सकते हैं मुझे आपके प्रश्नों को हल करके खुशी मिलेगी

आपको यह पोस्ट कैसी लगी हमें कमेंट के माध्यम से जरूर बताएं !

0/Post a Comment/Comments

आपको यह जानकारी कैसी लगी हमें जरूर बताएं ? आपकी टिप्पणियों से हमें प्रोत्साहन मिलता है |

Stay Conneted

(1) Facebook Page          (2) YouTube Channel        (3) Twitter Account   (4) Instagram Account

 

 



Hot Widget

 

( श्री राम देशिक प्रशिक्षण केंद्र )

भागवत कथा सीखने के लिए अभी आवेदन करें-


close