हास्य प्रसंग विद्वान विद्यार्थी
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राजेश्वरानंद जी महाराज |
बेटा बोला जलपान बाद में पहले चमत्कार देखो-
लड्डू कितने हैं ? मां बोली दो !बेटा बोला तीन, मां बोली तीन कैसे ? हैं तो दो !बेटा बोला यही तो विद्या का चमत्कार है , गिनो तुम फैसला मैं करूंगा, अब माँ ने लड्डू गिनना शुरू किया एक, बेटा बोला ठीक है ! जैसे ही दो पर उंगली रखी, तो बेटा बोला दो और एक तीन गणित का सिद्धांत है | अब मां कहे एक इधर और दो उधर तो वह कह दे दो और एक तीन | और इधर एक कहे उधर दो कहे तो कह दे दो और एक तीन | अब माँ ने कहा बेटा मैं तुमसे जीत तो नहीं सकती, मेरे पास कोई तार्किक सबूत भी नहीं है , लेकिन लड्डू दो ही हैं |
बेटा बोला ऐसे थोड़ी सिद्ध करो ? विद्या का चमत्कार तो यही है | पास में उसका पिता बैठा था वह भी तो उसी बालक का पिता था,
उसने कहा बेटा तुम्हारी मां बिना पढ़ी लिखी है,
हमें साफ दिख रहा है कि लड्डू तीन हैं, हमने तुम्हारी बात मान ली लड्डू तीन हैं, बेटा मुस्कुराया कि मेरी विद्या का चमत्कार आप ने स्वीकार किया |अब पिता बोला लड्डू तीन अब एक काम करना, एक लड्डू तुम्हारी मां खा लेगी, एक लड्डू मैं खा लूंगा ,
तीसरा तुम खा लेना |
तो मुझे यही समझ नहीं आता कि इन तार्किकों के हाथ लगा क्या | इसलिए इनकी बुद्धि परेशान है और मैं कहता हूं अगर भक्ति की यात्रा करनी है तो- बिन विश्वास भगति नहींबिना विश्वास की भक्ति नहीं भगवान हैं यह विश्वास हो, झूंठा चमत्कार नहीं |