दृष्टांत हास्य प्रसंग
[ नौजवान बहादुर ]
एक बार एक तालाब बड़ा गहरा पर उसका जल बड़ा निर्मल स्नान करने वाले लोग किनारे बैठ कर स्नान कर रहे थे | घाट पर तैराक लोग तालाब में कूदकर स्नान कर रहे थे | तभी एक बालक जिस बिचारे को तैरना नहीं आता था पांव फिसला तालाब में गिर गया, अब वह बिचारा डूबे फिर ऊपर आए, डूबे फिर ऊपर | अब चारों तरफ लोग इकट्ठे हो गए हल्ला मचाने लगे- हरे राम राम राम बड़ा बुरा हो रहा है, बिचारे बालक का प्राण जा रहा है कोई तो बचाओ | देखो बिचारा मरा जा रहा है कोई तो बचाओ | शोर तो बहुत मचाए पर तालाब में कूदने को कोई तैयार नहीं है और यही होता है ,एक शायर ने तो लिखा है कि-
साहिल के तमाशायी तट पर बैठकर तमाशा देखने वाले, साहिल के तमाशा हर डूबने वाले पर अफसोस तो करते हैं , इन्दाद नहीं करते |
अब तो सब कह रहे हैं बिचारा डूबा जा रहा है कोई तो बचाओ - कोई तो बचाओ पर कोई उसे निकालने के लिए तैयार नहीं ! अब तब तक एक नौजवान किसी तरह तालाब में गिरा उसे दो-चार डुबिकियां लगी पर