कलियुगी चेला हास्य प्रसंग
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राजेश्वरानंद जी महाराज |
बोला यह तो साधारण बात है ,ऊंचा !
गुरुजी ने मन ही मन सोचा कि यह चेला नहीं गुरु ही मिला है ! कुछ चेले सचमुच गुरु होते हैं |गुरु जी ने कहा तो रामचरितमानस पढ़ा करो ? चेला बोला रामायण सब जानते हैं , उूंचा | तो गुरु जी ने कहा गीता ? हां यह कुछ ठीक है, कुछ ! तो गुरुजी बोले आज गीता का महात्म्य सुनाऊंगा गीता कल | अब महात्म में उन्होंने श्लोक सुनाया--
सर्वो उपनिषदों गावो दोग्धा गोपाल नन्दनः |
उपनिषद सब गाए हैं और दुहने वाले भगवान श्रीकृष्ण हैं | एक घंटे तक व्याख्यान दिया चेला बीच में ही कह गया-- आहा आहा महाराज वाह वाह वाह क्या बात कही है |वाह वाह,, गुरु जी का और उत्साह बढ़ा की चेला कितने ध्यान से सुन रहा है,
इतनी प्रशंसा की तो गुरु जी और सुनाते गए एक घंटे बाद गुरू जी बोले कि बेटा कुछ समझ में ना आया हो तो पूछ लो ? चेला बोला हमें समझ में ना आया हो, हमें !आप कम समझाते हो हम ज्यादा समझते हैं ! गुरु जी ने मन ही मन कहा कि हम ही नहीं समझ पाए पहले तुम्हें ! लेकिन चलो गुरुजी हैं हम गुरुजी की इज्जतय रखलो पूछ ही लो कुछ ? तो बोला और तो एक एक अक्षर समझ में आया ,केवल एक बात समझ में नहीं आई |
कौन सी ? कहा आप कहते थे--