[ महामृत्युंजय मंत्र ]
ॐ त्र्यम्बकंयजामहे सुगन्धिम्पुष्टिवर्ध्दनम् |
उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीयमामृतात् ||
अर्थ - दिव्य कांति से युक्त मृत्यु रहित धनधान्य वर्धक त्रिनेत्र रुद्र की हम पूजा करते हैं | वे रुद्र हमें अपमृत्यु ( अकाल मृत्यु ) और संसार रूप मृत्यु से मुक्त करें | जिस प्रकार ककड़ी का फल अत्यधिक पक जाने पर अपने वृन्त ( ठंडल ) से मुक्त हो जाता है उसी प्रकार हम भी मृत्यु से छूट जाएं, किंतु अभ्युदय उन्नति और नि: श्रेयस ( मोक्ष ,कष्टों से निवृत्ति ) रूप अमृत से हमारा संबंध ना छूटने पाए !
ओम नमः शिवाय
महामृत्युंजय मंत्र संबंधी-
जो मृत्यु पर विजय प्राप्त करा दे, उसे ही महामृत्युंजय मंत्र कहते हैं | यह भगवान शिव जी को प्रसन्न करने का मंत्र है हम भगवान शिव जी की इस मंत्र द्वारा पूजा करते हैं , जो हर श्वांस में जीवन शक्ति का संचार करते हैं और संपूर्ण जगत का पालन पोषण करते हैं | आप द्वारा प्रतिदिन रुद्राक्ष की माला से इस महामृत्युंजय मंत्र का जाप किया जा सकता है | इस मंत्र का जाप करने से अकाल मृत्यु का भय दूर होता है साथ ही कुंडली जन्म पत्रिका के दूसरे बुरे दोष रोग भी शांत होते हैं और प्राणी को सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है |यदि साधक , भक्त पूर्ण श्रद्धा और विश्वास के साथ है यह साधना करें तो उसे मनो मनोवांछित फल की प्राप्ति की प्रबल संभावना बनी रहती है | दोनों नेत्रों के मध्य तीसरे नेत्र भृकुटी पर आप अपना ध्यान केंद्रित करें | अंतःकरण की पवित्रता का ध्यान रखते हुए ,
ऐसा करने पर जप- कर्ता को अपने भीतर प्रसन्नता संतुष्टि और परम शांति का अनुभव होने लगता है |
हम जानते हैं कि अमरता प्राप्त करना किसी व्यक्ति के लिए संभव नहीं है लेकिन भगवान अपनी शक्ति से हमारी आयु को कुछ समय के लिए आगे बढ़ा सकते हैं | इस महामृत्युंजय मंत्र के जाप करने से हमारे कर्म शुद्ध हो जाते हैं और यश की वृद्धि होती है ,