उच्च निष्काम भाव का स्वरूप निष्काम भाव का अर्थ/Meaning of good sense

उच्च निष्काम भाव का स्वरूप

उच्च निष्काम भाव का स्वरूप निष्काम भाव का अर्थ/Meaning of good sense
निष्काम भाव का अर्थ
निष्काम का अर्थ
अपने परम कल्याण की , भगवान में प्रेम होने की और भगवान के दर्शनों की जो कामना है , यह शुभ और शुद्ध कामना है | इसलिए उसमें कोई दोष नहीं है फिर भी अपने कर्तव्य का पालन करना और कुछ भी नहीं मांगना यह और भी उच्च कोटि का भाव है | और देने पर मुक्ति को भी स्वीकार ना करना यह उससे भी बढ़कर बात है | श्री भगवान और महात्माओं के पास तो मांगने की आवश्यकता ही नहीं पड़ती क्योंकि जैसे कोई सेवक नौकरी करता है और उसकी सेवा को स्वीकार करने वाले स्वामी यदि उच्च कोटि के होते हैं तो वह स्वयं ही उसका ध्यान रखते हैं | वह ना भी ध्यान रखें तो भी उस सेवक की कोई हानि नहीं होती, यदि उसमें सच्चा निष्काम भाव हो तो परमात्मा की प्राप्ति भी हो सकती है |
निष्काम भाव का अर्थ
निष्काम का अर्थ
किंतु ऐसा उच्च कोटि का भाव ईश्वर की कृपा से ही होता है | इस समय ऐसे स्वामी बहुत ही कम है और ऐसे सेवक भी देखने में बहुत कम आते हैं | परंतु इससे यह नहीं समझना चाहिए कि संसार में ऐसे कोई हैं ही नहीं, अवश्य ही संसार में सच्चे महात्मा बहुत ही कम हैं करोड़ों में कोई एक ही होते हैं | भगवान ने गीता में कहा है--  हजारों मनुष्यों में कोई एक मेरी प्राप्त के लिए यत्न करता है और उन यत्न करने वाले योगियों में भी कोई एक मेरे परायण होकर मुझको तत्वों से अर्थात यथार्थ रूप से जानता है | हमारा यह कहना नहीं है कि संसार में महात्मा हैं ही नहीं , और हम यह भी नहीं कह सकते कि संसार में कोई श्रद्धालु , सच्चा सेवक ( पात्र ) भी नहीं है | संसार में ऐसे पात्र भी मिलते हैं और महात्मा भी, किंतु मिलते हैं बहुत कम | उस कम की श्रेणी में ही हम लोगों को भाग लेना चाहिए |
 . निष्काम भाव का अर्थ
निष्काम का अर्थ
अर्थात उस प्रकार के बनने की कोशिश करनी चाहिए | हम लोगों को तो यह भाव रखना चाहिए कि केवल हमारे आत्मा का ही नहीं सबका कल्याण हो | अपने आत्मा के कल्याण के लिए तो सब जिज्ञासु प्रयत्न करते ही हैं, उसकी अपेक्षा यह भाव बहुत उच्च कोटि का है कि सभी हमारे भाई हैं अतः सभी के साथ हमारा कल्याण होना चाहिए | इससे भी  उच्च कोटि का भाव यह है कि सबका कल्याण हो कर उसके बाद हमारा कल्याण हो | इसमे भी मुक्ति की कामना है,  किंतु कामना होने पर भी निष्काम के तुल्य है | और अपने कल्याण के विषय में कुछ भी कामना ना करके अपने कर्तव्य का पालन करता रहे, तथा अपना केवल यही उद्देश रखें कि सबका उद्धार हो तो यह और भी विशेष उच्च कोटि का भाव है |
निष्काम भाव का अर्थ
निष्काम का अर्थ
लक्ष्य तो अपना सबसे उच्च कोटि का ही होना चाहिए, कार्य में परिणित ना भी हो तो भी सिद्धांत तो उच्च कोटि का ही रखना चाहिए | हमको इस बात का ज्ञान भी हो जाए कि यह उच्च कोटि की चीज है ,तो किसी समय वह कार्य में भी परिणित हो सकती है | ज्ञान ही ना हो तो वह कार्य कैसे आवे | भगवान की भक्ति तो बहुत ही उत्तम वस्तु है जो मनुष्य भगवान की भक्ति नहीं करता | उससे तो वह श्रेष्ठ है कि जो धन ,ऐश्वर्य ,पुत्र ,स्त्री की कामना के लिए भक्ति करता है | उस सकामी भक्तों से भी वह श्रेष्ठ है जो - स्त्री पुत्र धन के लिए तो नहीं करता , किंतु घोर आपत्ति आ जाने पर संकट निवारण के लिए आर्तनाद करता है | उस आर्त भक्त से भी वह श्रेष्ठ है जो केवल अपनी मुक्ति के लिए परमात्मा की ज्ञान के लिए उसमें प्रेम होने के लिए या उनके दर्शन के लिए उनसे प्रार्थना करता है |
निष्काम भाव का अर्थ
निष्काम का अर्थ
 ऐसा जिज्ञासु उपर्युक्त सबसे श्रेष्ठ है | उससे भी वह श्रेष्ठ है , जो अपने आत्मा के कल्याण के लिए भी भगवान से प्रार्थना नहीं करता, परंतु अपने कर्तव्य का निष्काम भाव से पालन ही करता रहता है | अर्थात निष्काम भाव से ईश्वर की अनन्य भक्ति करता ही रहता है | उसको यह विश्वास है कि परमात्मा की प्राप्ति निश्चय अपने आप ही होगी इसमें कोई शंका की बात नहीं है |भगवान सर्वज्ञ हैं वह सब जानते हैं उनके पास प्रार्थना करने की आवश्यकता नहीं रहती, मुझको अपने कर्तव्य का पालन करते ही रहना चाहिए |ऐसा निष्कामी उपर्युक्त सबसे श्रेष्ठ है | इससे भी श्रेष्ठ वह पुरुष है जो अपना कल्याण हो इसके लिए प्रयत्न करता रहता है ,किंतु यह भाव भी नहीं रखता कि मैं नहीं भी मागूंगा तो भी भगवान मेरा कल्याण अवश्य करेंगे |
निष्काम भाव का अर्थ
निष्काम का अर्थ
भगवान तो सर्वज्ञ हैं वे स्वयं सब जानते ही हैं इस भाव में भी शुभकामना है ,किंतु जो इस बात की ओर भी ध्यान ना देकर अपने कर्तव्य का ही पालन करता रहता है | बल्कि यह समझता है कि निष्काम भाव से कर्तव्य का पालन करना भगवान की निष्काम भाव से सेवा करना मुक्ति से भी श्रेष्ठ है | अतः मैं सदा भगवान की निष्काम भाव से ही सेवा करूं मेरा उत्तरोत्तर केवल भगवान में ही प्रेम बढ़ता रहे ,उसका यह लक्ष्य और भाव बडा ही उच्च कोटि का है | क्योंकि वह समझता है की प्रेम सबसे बढ़कर वस्तु है ,परमात्मा की प्राप्ति में भी परमात्मा में जो आनंद और विशुद्ध प्रेम है , यह बहुत ही मूल्यवान वस्तु है | इस पर भी भगवान प्रसन्न होकर प्रत्यक्ष दर्शन देते हैं | जैसे प्रहलाद को दर्शन दिए दर्शन देकर भगवान आग्रह करें कि मेरे संतोष के लिए जो तेरे को जंचें वह मांग ले | तो भी हमको प्रहलाद की भांति कुछ भी नहीं मांगना चाहिए |
निष्काम भाव का अर्थ
निष्काम का अर्थ
यह बहुत उच्च कोटि का निष्काम अभाव है ,जैसे भगवान की कृपा होने पर भगवान का दर्शन करने से मनुष्य का कल्याण हो जाता है इसी प्रकार उपर्युक्त निष्कामी भक्त की कृपा से भी दूसरों का कल्याण हो जाए तो, कोई आश्चर्य की बात नहीं है | ऐसे पुरुष के हृदय में यदि यह दया का भाव हो जाए कि इन लोगों का कल्याण होना चाहिए , क्योंकि यह पात्र हैं तो इस भाव से भी लोगों का कल्याण हो जाता है |
वचन- हनुमान प्रसाद पोद्यार जी
निष्काम भाव का अर्थ
निष्काम का अर्थ
निष्काम भाव ? का एक भाग और हैं उसे भी जरूर पढें |

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