F जगद्गुरु श्री शंकराचार्य/ मणि रत्नमाला के और प्रश्नोत्तर रत्न मालिका के कुछ प्रश्नोंत्तरों का अनुवाद/shankaracharya jivan parichay - bhagwat kathanak
जगद्गुरु श्री शंकराचार्य/ मणि रत्नमाला के और प्रश्नोत्तर रत्न मालिका के कुछ प्रश्नोंत्तरों का अनुवाद/shankaracharya jivan parichay

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जगद्गुरु श्री शंकराचार्य/ मणि रत्नमाला के और प्रश्नोत्तर रत्न मालिका के कुछ प्रश्नोंत्तरों का अनुवाद/shankaracharya jivan parichay

जगद्गुरु श्री शंकराचार्य/ मणि रत्नमाला के और प्रश्नोत्तर रत्न मालिका के कुछ प्रश्नोंत्तरों का अनुवाद/shankaracharya jivan parichay

[ जगद्गुरु श्री शंकराचार्य ]

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गुरु परंपरागत मठों के अनुसार आविर्भाव काल ईसा से पूर्व ५०८ या ४७६ वर्ष, पश्चात विद्वानों के मतानुसार ईसवी सन६६८, या३२ या३८ वर्ष,आभिर्भाव स्थान, केरल प्रदेश | पूर्णा नदी के तट पर कलीदि नामक ग्राम | पिता का नाम श्री शिव गुरु, माता का नाम श्री सुभद्रा माता अथवा विशिष्टा | जन्मतिथि वैशाख शुक्ल पंचमी | जाति ब्राह्मण, गुरु स्वामी गोविंद भगवत्पाद | महान दार्शनिक विद्वान और भक्त संप्रदाय के प्रधानतम् आचार्य |

ये साक्षात भगवान शंकर के अवतार माने जाते हैं |

ब्रह्म ही सत्य है
सर्पादौ रज्जुसत्तेव ब्रह्मसत्तैव केवलम् |
प्रपञ्चाधाररूपेण वर्तते तद् जगन्न हि ||
( स्वात्मप्रकाशिका ६ )
मिथ्या सर्प आदि में रज्जुसत्ता की भांति जगत के आधार या अधिष्ठान के रूप में केवल ब्रम्ह सत्ता ही है ,अतः ब्रह्म ही सत्य है जगत नहीं |
घटावभासको भानुर्घटनाशे न नश्यति |
देहावभासकः साक्षी देहनाशे न नश्यति ||
( स्वात्मप्रकाशिका १४ )
घट का प्रकाश सूर्य करता है, किंतु घट के नाश होने पर जैसे सूर्य का नाश नहीं होता, वैसे ही देह का प्रकाशक साक्षी (आत्मा) भी देह का नाश होने पर नष्ट नहीं होता |
न हि प्रपन्ञ्चो न हि भूतजातं
       न चेन्द्रियं प्राणगणो न देहः |
न बुद्धिचित्तं न मनो न कर्ता
       ब्रम्हैव सत्यं परमात्मरूपम् ||
( स्वात्मप्रकाशिका १७ )
यह जगत सत्य नहीं है, प्राणिसमूह नहीं है, इंद्रिय नहीं है ,प्राण सत्य नहीं है, देह नहीं है, बुद्धि चित्त नहीं है ,मन नहीं है ,अहंकार नहीं है, परमात्म स्वरूप ब्रम्ह ही, सत्य है | ब्रम्हप्राप्ति के साधन
विवेकिनो विरक्तस्य शमादिगुणशालिनः |
मुुमुक्षोरेव हि ब्रह्मजिज्ञासायोग्यता मता ||
( विवेक चूडामणि १७ )
जो सदसद्विवेकी, बैराग्यवान, शम-दमादि सट् संपत्ति युक्त और मुमुक्षु हो , उसी में ब्रह्म जिज्ञासा की योग्यता मानी जाती है |
वैराग्यं च मुमुक्षुत्वं तीव्रं यस्य तु विद्यते |
तस्मिन्नेवार्थवन्तः स्युः फलवन्तः शमादयः ||
( विवेक चूडामणि ३० )
जिसमें बैराग्य और मुमुक्षुत्व तीव्र होते हैं , उसी में समादि चरितार्थ और सफल होते हैं |
मोक्षकारणसामग्र्यां भक्तिरेव गरीयसे |
स्वस्वरूपानुसंधानं भक्तिरित्यभिधीयते ||
( विवेक चूडामणि ३२ )
मुक्ति की कारण रूप सामग्री में भक्त ही सबसे बढ़कर है और अपने वास्तविक स्वरूप का अनुसंधान करना ही भक्ति कहलाती है |
अनात्मचिन्तनं त्यक्त्वा कश्मलं दुःखकारणम् |
चिन्तयात्मानमानन्दरूपं यन्मुक्तिकारणम् ||
( विवेक चूडामणि ३८० )
अनात्मपदार्थों का चिंतन मोह मय है और दुख का कारण है ! उसका तयाग करके मुक्ति के कारण आनंदरूप आत्मा का चिंतन करो |

 मणि रत्नमाला के और प्रश्नोत्तर रत्न मालिका के कुछ प्रश्नोंत्तरों का अनुवाद

बद्ध कौन है ? विषयासक्त !
मुक्ति क्या है ? विषयों में विराग |
भयानक नर्क क्या है ? अपना देह(देहासक्ति)
स्वर्ग क्या है ? तृष्णा का क्षय |
संसार बंधन किससे कटता है ? श्रुति जनित आत्मज्ञान से |
मुक्ति का हेतु क्या है ? पूर्वोक्त आत्मज्ञान |
नरक का एकमात्र द्वार क्या है ? नारी ( कामासक्ति पुरुष की नारी में और नारी की पुरुष में ) !
शरीर की प्राप्ति किससे होती है ? जीवो की अहिंसा से |
सुख से कौन सोता है ? समाधिनिष्ठ ( परमात्मा में निरुद्ध चित्त)
जागृत कौन है ? सत् असत् का विवेकी |
शत्रु कौन है ? अपनी इंद्रियाँ, परंतु जीत लेने पर वह इंद्रियाँ मित्र बन जाती हैं |
दरिद्र कौन है ? जिसकी तृष्णा बढ़ी हुई है |
श्रीमान (धनी) कौन है ? जो पूर्ण संतोषी है !
जीता ही कौन मर चुका है ? उद्यमहीन !
अमृत (जीवित) कौन है ? जो भोगों से निराश है!
फांसी क्या है ? ममता और अभिमान |
मदिरा की भांति मोहित कौन करती है ? नारी !
(कामाशक्ति) |
महान अन्धा कौन है ? कामातुर |
मृत्यु क्या है ? अपना अभ्यास !
गुरु कौन है ? जो हित का उपदेश करता है !
शिष्य कौन है ? जो गुरु का भक्त है |
लंबा रोग क्या है ? भवरोग |
उसके मिटाने की दवा क्या है ? असत् सत् का विचार |
भूषणों में उत्तम भूषण क्या है ? सच्चरित्रता |
परम तीर्थ क्या है ? अपना विशुद्ध मन |
कौन वस्तु हेय है ? कामिनी कंचन |
सदा क्या सुनना चाहिए ? गुरु का उपदेश और वेद वाक्य |
ब्रह्म की प्राप्ति के उपाय क्या हैं ? सत्संग, दान, विचार और संतोष |
संत कौन है ? जो समस्त विषयों से वीतराग हैं, मोह रहित हैं और विश्वस्वरूप ब्रह्म तत्व में निष्ठावान है !
प्राणियों का ज्वर क्या है ? चिंता |
मूर्ख कौन है ? विवेक हीन |
किसको प्रिय बनाना है ? शिव-विष्णु भक्ति को!यथार्थ जीवन क्या है ? जो दोष वर्जित है|
विद्या क्या है ? जो ब्रह्म की प्राप्ति कराती है !
 ज्ञान किसे कहते हैं ? जो मुक्ति का हेतु है !
लाभ क्या है ? आत्मज्ञान !
जगत को किसने जीता है ?जिसने मन को जीता!
वीरों में महावीर कौन है? जो कामबांण से पीड़ित नहीं होता |
समतावान् ,धीर और प्राज्ञ कौन है ? जो ललना कटाक्ष से मोहित नहीं होता !
विषका भी विश क्या है ? समस्त विषय !
सदा सुखी कौन है ? विषयानुरागी !
धन्य कौन है ? परोपकारी |
पूजनीय कौन है ? शिव तत्व में निष्ठावान !
सभी अवस्था में क्या करना नहीं चाहिए ? विषयों में स्नेह और पाप |
विद्वानों को प्रयत्न के साथ क्या करना चाहिए ? शास्त्र का पठन और धर्म !
संसार का मूल क्या है ? विषय चिंता !
किसका संग और किसके साथ निवास नहीं करना चाहिए ? मूर्ख, पापी, नीच और खलका संग और उनके साथ निवास नहीं करें |
मुमुक्षु व्यक्तियों को शीघ्र से शीघ्र क्या करना चाहिए ? सतसंग , निर्ममता और ईश्वर भक्ति|
हीनता का मूल क्या है ? याचना !
महत्व का मूल क्या है ? अयाचना |
किसका जन्म सार्थक है ? जिसका फिर जन्म ना हो |
अमर कौन है ? जिसकी फिर मृत्यु ना हो !
शत्रुओं में महासत्रु कौन है ? काम, क्रोध, असत्य, लोभ , तृष्णा !
विषयों भोग से तृप्त कौन नहीं होती ? कामना!
दुख का कारण क्या है ? ममता ¡
मृत्यु समीप होने पर बुद्धिमान पुरुष को क्या करना चाहिए ? तन मन वचन के द्वारा यम के भय का निवारण करने वाले सुखदायक श्रीहरि के चरण कमलों का चिंतन |
दिन रात ध्येय क्या है ? संसार की अनित्यता और आत्मस्वरूप शिव तत्व |
कर्म किसे कहते हैं ? जो श्री कृष्ण के लिए प्रीति कर हो |
ज्यादा किसमें आस्था करनी चाहिए ? भव समुद्र में |
मार्ग का पाथेय क्या है ? धर्म !
पवित्र कौन है ? जिसका मन पवित्र है !
पंडित कौन है ? विवेकी |
विष क्या है ? गुरुजनों बड़ों का अपमान |
मदिरा के समान मोहजनक क्या है ? स्नेह |
डाकू कौन है ? विषय समूह !
संसार बेल क्या है ? विषय-तृष्णा का अभाव |
शत्रु कौन है ? उद्योग का अभाव ( अकर्मण्यता )
कमल पत्र पर स्थित जल की तरह चंचल क्या है ? यौवन , धन और आयु |
चंद्र किरणों के समान निर्मल कौन है ? संत महात्मा |
नर्क क्या है ? परवशता |
सुख क्या है ? समस्त संगो का त्याग |
सत्य क्या है ? जिसके द्वारा प्राणियों का हित हो !
प्राणियों के प्रिय क्या हैं ? प्राण !
यथार्थ दान क्या है ? कामना रहित दान |
मित्र कौन है ? जो पाप से हटाए !
आभूषण क्या है ? शील |
वाणी का भूषण क्या है ? सत्य|
अनर्थकारी कौन है ? मान !
सुखदायक कौन है ? सज्जनों की मित्रता !
समस्त व्यसनों के नाष में कौन समर्थ है ?  सर्वदा त्यागी !
अंधा कौन है ? जो अकर्तव्य में लगा है |
बहरा कौन है ? जो हित की बात नहीं सुनता |
गुंगा कौन है ? जो समयपर प्रिय वचन बोलना नहीं जानता |
मरण क्या है ? मूर्खता !
अमूल्य वस्तु क्या है ? उपयुक्त अवसरका दान !
मरते समय तक क्या चुभता है ? गुप्त पाप |
साधु कौन है ? सच्चरित्र !
अधम कौन है ? चरित्रहीन !
जगत को जीतने में कौन समर्थ है ? सत्यनिष्ठ और सहनशील ( क्षमावान ) |
सोचनीय क्या है ? धन होने पर भी कृपणता |
 प्रशंसनीय क्या है ? उदारता |
पंडितों में पूजनीय कौन है ? सदा स्वाभाविक विनयी |
तमोगुण रहित पुरुष बार- बार किसका बखान करते हैं , वह चतुर्भद्र क्या है ? प्रिय वचन के साथ दान, गर्वरहित ज्ञान,  क्षमायुक्त शूरता ,वीरता और त्याग युक्त धन- यह दुर्लभ चतुर भद्र है |
रात दिन ध्येय क्या है ? मां भगवच्चरण, न कि संसार |
आंखें होते हुए अंधें कौन है ? नास्तिक!
पुरुषों को सदा किसका स्मरण करना चाहिए ? हरिनाम का |
सद्बुद्धि पुरुषों को क्या नहीं कहना चाहिए ? पराया दोष तथा मिथ्या बात |
मुक्ति किससे मिलती है ? मुकुंद भक्ति से !
मुकुंद कौन है ? जो अविद्या से तार देता है |
अविद्या क्या है ? आत्मा की स्फूर्ति ना होना|
मायी कौन है ? परमेश्वर !
इंद्रजाल की तरह क्या वस्तु है ? जगत प्रपंच|
 स्वप्नतुल्य क्या है ? जागृत का व्यवहार !
सत्य क्या है ? ब्रह्म !
प्रत्यक्ष देवता कौन है ? माता !
पूज्य और गुरु कौन है ? पिता !
सर्व देवता स्वरूप कौन है ? विद्या और कर्म से युक्त ब्राम्हण |
भगवत भक्ति का फल क्या है ? भगवत धाम की प्राप्ति या स्वरूप का साक्षात्कार |
मोक्ष क्या है ? अविद्या की निवृत्ति |
समस्त वेदों में प्रधान क्या है ? ओंकार !

जगद्गुरु श्री शंकराचार्य/ मणि रत्नमाला के और प्रश्नोत्तर रत्न मालिका के कुछ प्रश्नोंत्तरों का अनुवाद

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