F महर्षि पुलह ऋषि की कहानी, - bhagwat kathanak
महर्षि पुलह ऋषि की कहानी,

bhagwat katha sikhe

महर्षि पुलह ऋषि की कहानी,

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महर्षि पिप्पलाद महर्षि वात्सायन महर्षि ऋषि महर्षि ऋचीकविश्रवा की पत्नी का नाम  अत्रि मुनि आश्रम  पुलस्त्य ऋषि की कथा  तृणबिन्दु आश्रम  ऋषि वशिष्ठ किस वंश के गुरु थे  मरीचि ऋषि की कथा  पुलस्त्य वंश  पुलस्त्य ऋषि की कहानी
महर्षि पुलह- भी ब्रह्माके मानसपुत्र और षोडश प्रजापतियोंमें एक हैं। ये भी अन्यान्य ऋषियोंकी भाँति जगत्के हितसाधनमें लगे रहते हैं। इन्होंने अपने पिता ब्रह्माजीकी आज्ञासे दक्षप्रजापतिकी और महर्षि कर्दमकी कन्याओंको पत्नीरूपसे ग्रहण करके सृष्टिकी वृद्धि की। अनेकों योनि और जातियोंकी संतान इनसे हुई। इन्होंने महर्षि सनन्दनकी शरण ग्रहण करके सम्प्रदायकी रक्षा करते हुए तत्त्वज्ञानका सम्पादन किया और फिर अपने शरणागत जिज्ञासु गौतमको उसका दान करके जगत्में उसका विस्तार किया।* जगत्की आध्यात्मिक, आधिदैविक और आधिभौतिक शान्तिके लिये ये निरन्तर तपस्यामें संलग्न रहते हैं। पुराणों में इनकी चर्चा स्थान-स्थानपर आयी है।
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