जटा में गंगा रहने के बाद भी करोड़ों लोग बाबा को गंगाजल क्यों अर्पित करते हैं?
राजा भरत की कठोर तपस्या के कारण परम सलिला पतित पावनी गंगा मैया सगर के साठ हजार पुत्रों का उद्धार करने हेतु धरती पर उतरने के लिए राजी हो गई । भगवान् शंकर ने माता गंगा के वेग को कम करने हेतु उन्हें अपनी जटाओं में समेट लिया ताकि गंगा पृथ्वी को फोड़कर रसातल में न पहुँच जायें । इसके बाद गंगा मैया की चंचलता को कम करके भगवान् शंकर ने उन्हें धरती के कल्याण एवं उद्धार के लिए धरती पर उतारा।शिव की जटा में गंगा मैया को अपनी स्वतंत्रता में कमी । प्रतीत होने लगी तो वे ब्रह्माजी से बोलीं - "आप मुझे इस कष्ट से बचाइये ।" ब्रह्माजी बोले - "हे गंगा ! तुम तो अति भाग्यशाली हो जो तुम्हें भगवान् शंकर ने अपने शीश पर धारण किया है ।" गंगा मैया ब्रह्माजी से बोलीं - "आपका यह कहना तो ठीक है, परन्तु स्वर्ग लोक में निवास करने वाली गंगा का यह अपमान होगा । मेर अदर अच्छे और बुरे सब प्रकार के लोग स्नान करेंगे । बुरे लोगों के स्नान करने से मेरा जल अपवित्र हो जायेगा । इससे मुझे बड़ी ग्लानि होगी।" | गंगा मैया की बात सुनकर ब्रह्माजी बोले – “तुम इसकी चिन्ता मत करो । मैं तुम्हें वरदान देता हूँ, जो लोग तुम्हारी जल में स्नान करेंगे वे लोग अच्छे हों या बुरे, उनमें से ज्यादा लोग तुम्हें भगवान् शंकर के माथे पर (शिवलिंग) पर चढ़ायेंगे तो तुम्हें अपार खुशी प्राप्त होगी।" ब्रह्माजी के इस वरदान के कारण गंगाजल को शिव भक्त वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग पर चढ़ाते हैं, इससे उन्हें सर्वाधिक लाभ प्राप्त होता है। प्रथम तो गंगा में स्नान करने से व्यक्ति के पापों का नाश हो जाता है। दूसरे भगवान् वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग पर गंगा जल चढाने से उनके सारे जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं और पुण्य प्राप्त करते हैं। करोड़ों व्यक्तियों द्वारा वैद्यनाथ पर गंगाजल चढ़ाना वास्तव में भगवान वैद्यनाथ की एक अद्भुत लीला ही है।