नव-वर्ष विक्रम संवत की शुभकामनाएं
प्रथम महीना चैत से गिन
राम जनम का जिसमें दिन।। 
द्वितीय माह आया वैशाख।
वैसाखी पंचनद की साख।। 
ज्येष्ठ मास को जान तीसरा।
अब तो जाड़ा सबको बिसरा।। 
चौथा मास आया आषाढ़।
नदियों में आती है बाढ़।।  
पांचवें सावन घेरे बदरी।
झूला झूलो गाओ कजरी।। 
भादौ मास को जानो छठा।
कृष्ण जन्म की सुन्दर छटा।।  
मास सातवां लगा कुंआर।
दुर्गा पूजा की आई बहार।।  
कार्तिक मास आठवां आए।
दीवाली के दीप जलाए।। 
नवां महीना आया अगहन।
सीता बनीं राम की दुल्हन।।  
पूस मास है क्रम में दस।
पीओ सब गन्ने का रस।। 
ग्यारहवां मास माघ को गाओ।
समरसता का भाव जगाओ।।  
मास बारहवां फाल्गुन आया।
साथ में होली के रंग लाया।।  
बारह मास हुए अब पूरे।
छोड़ो न कोई काम अधूरे।।
नव संवत्सर की शुभकामनाए
🙏🏻 माता रानी आसुरी शक्तियों का नाश करें और सभी भग्तों की रक्षा करें 🙏🏻 और आशीर्वाद प्रदान करें।🙏🏻
🙏 जय माता दी 🙏🏻 
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