Ram katha in hindi,Ramayan story in hindi -13

Ram katha in hindi
Ramayan story in hindi
Ram katha in hindi,Ramayan story in hindi
 देखते देखते यह चौबीस हजार श्लोकों की यह संहिता तैयार हो गई लेखनी रुकी नहीं, जब लेकिन आरंभ हुई सीता चरित्र से गुम्फित इस महाकाव्य की रचना हो गई |

रघुवंशस्य चरितं चकार भगवान्मुनिः |
एक शब्द और ध्यातव्य है यहां महर्षि बाल्मीकि के लिए भगवान शब्द का प्रयोग है - एक अर्थ तो है जो जानकी चरित्र लिख दे उसमें भगवत्ता आ जाती है और दूसरा अर्थ है सुकदेव जी कौन है वहां भागवतकार कहते हैं |

तत्राभवद भगवान व्यास पुत्रः |
मानो जैसे भगवान ही व्यास पुत्र सुकदेव के रूप में आकर प्रकट हुए | ऐसे मानो भगवान राम ही महर्षि बाल्मीकि के रूप में बैठकर के जानकी चरित्र की रचना कर रहे हैं | ऐसा अर्थ किया है

रघुवंशस्य चरितं चकार भगवान मुनिः |
यहां रघुवंस का अर्थ है-

रघुवशें अवतीर्णस्य श्रीराम चन्द्रस्य चरितं चकार |
जो रघुवंश में उत्पन्न- भगवान श्री राघवेंद्र हुए उनके चरित्र से युक्त रामायण नामक महाकाव्य की रचना हो गई ! अच्छा रचना होने के बाद एक पीड़ा हुई महर्षि बाल्मीकि को , क्या ? कहा- इस रचना को पड़ेगा कौन ?

और इसको दुनिया वालों को सुनाएगा कौन ? कि इस रामायण नामक महाकाव्य का सुयोग उत्तराधिकारी कहां से लाऊं ? एक बात है कि जब कोई बहुत बड़ा वैभव जुटा ले और उसके कोई संतति ना हो तो उसे सुयोग उत्तराधिकारी कि चिंता होती है |

कोई बहुत विद्याओं को ग्रहण करले और सुयोग्य उत्तराधिकारी ना मिले तब उसे भी चिंता होती है,कोई बहुत बड़ा मठ मंदिर बना ले उसके बाद सुयोग उत्तराधिकारी ना मिले तो भी उसे चिंता होती है | इस ग्रन्थ को पड़ेगा कौन ? दुनिया को सुनाएगा कौन ?

यहां पर लिखा है महर्षि बाल्मीकि को भी चिंता हो गई- चिंता हो रही है ! ( चिन्तयामास ) अच्छा एक बात और है इन पत्थरों के धन संपत्ति के उत्तराधिकारी तो दौड़ दौड़ कर मिलते हैं महाराज, लेकिन सारस्वत संपदा के उत्तराधिकारी कोई विरले ही दुनिया में पाए जाते हैं |

जो संतों की सारस्वत संपदा को संभाले ! नहीं संत चले जाते हैं मठ मंदिर के उत्तराधिकारी तो मिल जाते हैं , लेकिन उनके सारस्वत संपदा के अधिकारी दुनिया में बहुत कम मिलते हैं |
Ram katha in hindi
Ramayan story in hindi
 इस सारस्वत संपदा का अधिकारी कौन होगा तो महर्षि बाल्मीकि की दृष्टि जानकी जी के दो कुमारों पर गई जानकी जी ने दो पुत्रों को जन्म दिया बड़े कुश हैं और छोटे लव हैं, एक भ्रांति यह भी मिटा लें लोग समझते हैं लव बड़े हैं कुश छोटे हैं |

हां कुछ लोग कहते हैं कुशा से कुश बना दिया यह सभी क्षेपक कथाएं हैं | यह जानकी जी के युगल जुड़वा कुमार हैं दोनों में अंतर बस थोड़ा सा है थोड़ा पहले कुश और फिर लव पैदा हुए |

( मुनिवेषौ कुशी लवौ )
महर्षि बाल्मीकि बारंबार कुश लव शब्द का प्रयोग करते हैं, पहले कुश शब्द का प्रयोग फिर लव का प्रयोग करते हैं, गोस्वामी जी ने भी लिखा है--
( दुइ सुत सुंदर सीता जाए )
Ram katha in hindi
Ramayan story in hindi
सीता पाए नहीं लिखा कि बनाकर कुश से दिया गोस्वामी जी भी यह मानते हैं, जाये माने दो सुंदर पुत्रों को जन्म दिया है मां जानकी ने बड़े कुश हैं छोटे लव हैं, उनको शास्त्र की शिक्षा महर्षि बाल्मीकि ने दी है और शस्त्र की शिक्षा स्वयं मां जानकी ने दी है, यह शस्त्र और शास्त्र में बड़े निपुण हैं बड़े पारंगत हैं |

अच्छा जाति कर्म संस्कार या तो पिता करें या दोनों ना मिले तो कोई खानदान का करें उनका जन्म किस रात्रि में हुआ जब भैया शत्रुघ्न लवणासुर का वध करने के लिए मथुरा पर चढ़ाई करने के लिए जा रहे थे और रात्रि में महर्षि वाल्मीकि के आश्रम में विश्राम किया उसी रात्रि को जानकी जी ने इन दोनों बेटों को जन्म दिया |

और महर्षि वाल्मीकि ने शत्रुघ्न से इन दोनों बालकों का जात कर्म संस्कार करवाया क्या-क्या अद्भुत संयोग है, उसी रात्रि जन्म लिए और ढूंढना नहीं पडा पितृभ्य(चाचा) जी घर ही आ गए उन्होंने जाति कर्म संस्कार किया एक बात और बता दूं यह मथुरा नगरी भी अयोध्या वासियों की ही बसाई हुई है |

जहां कन्हैया की लीला संपादित हुई किसने बसाया इसको भैया शत्रुघ्न ने बसाया बड़ा भयंकर असुर रहता था यहां पर उसको मार कर यहां पर सुंदर नगरी बसाई , आगे चलकर शत्रुघ्न भैया के दोनों बेटे यहां के राजा बनाए गए, पूर्णता सत्र पर वहां कथा को विस्तार से जानेंगे |

आज वही मां जानकी के दोनों कुमारों ने महर्षि बाल्मीकि को प्रणाम किया तो महर्षि बाल्मीकि देखते रह गए बोले हमारे आश्रम पर स्वयं उत्तराधिकारी मिल गए हम यूं ही चिंता कर रहे थे | एक बात कहूं---
चिन्तयामास कोनवेतत प्रयुञ्जी यादिति प्रभो |
 यहां तो लिखा है महर्षि बाल्मीकि कौन है तो कहा दुनिया की चिंता को भगवान पूरा करें चाहे ना करें लेकिन कोई भावितात्मा चिंतन करने लगे कोई महात्मा चिंतन करने लगे कोई पूतात्मा चिंतन कर ले कोई पवित्रात्मा चिंतन कर ले तो उसकी चिंता को पूर्ण भगवान स्वयं करते हैं |

यह नियम है किसी दिन यदि कोई संत चिंता कर ले उसकी चिंता भगवान तुरंत दूर करते हैं,, संतों की चिंता नहीं रहती वह तो चिंतन करने वाले हैं यदि संत चिंता कर दे तो भगवान तुरंत पूर्ण कर दे नियम है |

दोनों खड़े हुए हैं सामने महर्षि बाल्मीकि ने देखा एक कथा के वक्ता में एक रामायण के वक्ता में तीन बातें होनी चाहिए ऐसा लिखा है-- क्या क्या लिखा है---
भ्रातरौ स्वरसम्पन्नौ दरसाश्रमवासिनौ सतो मेधा विनौदृष्टा भेदेषु परिनिष्ठितौ |
प्रथम दृष्या स्वर सम्पन्नौ- प्रथम वक्ता में पहला लक्षण स्वर संपदा होनी चाहिए स्वर संपदा का मतलब है हारमोनियम पर गले का अभ्यास नहीं है स्वर संपदा का मतलब वाणी का स्पष्टीकरण है ! वह जो उच्चारण करें वह स्पष्ट हो उसका उच्चारण व्याकरण परिनिष्ठित हो |

तो स्वर संपदा से युक्त हो और दूसरा मेधाविनो- दूसरा लक्षण वक्ता में मेधा होनी चाहिए यह नहीं कि रात भर पड़े, रातभर नोट्स बनाएं और मंच पर आकर भूल जाए, चौदह डायरिया ले करके तीन हजार पन्ने लेकर बैठे, ऐसे मूल पुस्तिका रखनी चाहिए सौ श्लोक से ज्यादा हो तो हमारी यास परंपरा है |

यदि आपको याद भी हो तो भी ग्रंथ से ही करना चाहिए पुस्तक जरूर रखना चाहिए यह नियम है,  मेधावी होना चाहिए माने धारणा शक्ति होनी चाहिए यह दूसरा लक्षण और तीसरा लक्षण है उसमें वेद के प्रति निष्ठा होनी चाहिए |

जो बात कहे वह श्रुति सम्मत हुए अनुभूति सम्मत हो और वह युक्तिसंगत भी हो,  आज कल कुछ वक्ता जो वाणी के प्रवाह में कभी-कभी ऐसी बात भी बोल जाते हैं जो वेद के विरुद्ध सिद्धांत की स्थापना कर बैठता है |
Ram katha in hindi
Ramayan story in hindi

वेद में निष्ठा होनी चाहिए अब तो हम लोग देखते हैं कि आचार पोस्टरों पर लिखा रहता है ऐसा भी होता है आचार्य एक डिग्री है MA के समकक्ष है MAपड़े हुए कोई अचार्य कैसे हो सकता है , लेकिन छोटे-छोटे बच्चे भी आचार्य लिखते हैं, छोटे-छोटे बच्चे भी शास्त्री लिखते हैं, आचार्य तब भी लिखा जाता है जब किसी संप्रदायिकता मनोनीत आचार्य हो उसे भी  आचार्य कहते हैं |

तो जो वक्ता हो उसमें तीन बातें होनी चाहिए वेद में निष्ठा हो मेधा सकती हो और स्वर संपदा | 

रूप लक्षण सम्पन्नौ मधुर स्वर भाषणौ। 
विम्बादि वोत्थितौ विम्बौ राम देहा तथा परौ।। 

एक बात और है वक्ता थोड़ा थोड़ा देखने में भी अच्छा हो ऐसा लिखा है वक्ता सुंदर भी हो, आज रूप लक्षण से भी संपन्न है यह दोनों बालक जब खड़े हैं आज महर्षि बाल्मीकि को प्रणाम करने आए तो ऐसा लग रहा है जैसे राम जी के दो बिंब खड़े हुए हो मानो रामजी ही दो बालक के रूप में सामने खड़े हैं |

यह दोनों नन्हे राम के रूप में दिखाई दे रहे हैं महर्षि बाल्मीकि जी ने कहा कोई भी वक्ता इनसे सुंदर नहीं हो सकता इन दोनों बालकों को पूरे चौबीस हजार श्लोक कंठस्थ कराए और कहा पहली कथा संतों के मध्य में होनी चाहिए |
Ram katha in hindi
Ramayan story in hindi

0/Post a Comment/Comments

आपको यह जानकारी कैसी लगी हमें जरूर बताएं ? आपकी टिप्पणियों से हमें प्रोत्साहन मिलता है |

Stay Conneted

(1) Facebook Page          (2) YouTube Channel        (3) Twitter Account   (4) Instagram Account

 

 



Hot Widget

 

( श्री राम देशिक प्रशिक्षण केंद्र )

भागवत कथा सीखने के लिए अभी आवेदन करें-


close