प्रेरक कहानी- हर काम आत्मसमर्पण से करना चाहिए |
एक राजा था उसका मंत्री बहुत बुद्धिमान और बलवान था वह अपने तीक्ष्ण बुद्धि और बल के प्रभाव से अपने आसपास के समस्त छोटे बड़े राज्यों को जीत लिया और अपने साम्राज्य का बहुत विस्तार कर लिया था |
अब राजा भी उस अपने मंत्री से बहुत प्रसन्न रहता उसकी बड़ी प्रशंसा करता वह उसकी, एक दिन राज्य दरबार लगा हुआ था और वह मंत्री अपने राजा को बधाई दिया कि महाराज हम अपने आसपास के समस्त राज्यों को जीत लिए बस एक छोटा सा राज्य बचा है जीतने को क्योंकि वह राज्य नदी के किनारे उस पार है |
राजा ने मंत्री को आदेश दिया जाओ उस छोटे से राज्य को अभी जीतकर आओ हम तुम्हें उस युद्ध के लिए दस हजार सैनिक देते हैं , अब मंत्री दस हजार सैनिकों के साथ नाव में बैठकर उस राज्य में युद्ध करने पहुंचा |
उस छोटे से राज्य के सैनिकों में इतनी एकता थी-इतनी एकता थी कि वह मंत्री को दस हजार सैनिकों के साथ हारा दिए, मंत्री लोग पीठ दिखाकर भागे और अपने अपनी नाव में बैठकर वापिस राज्य आ गए |
राजा को पता चला तो वह क्रोधित होकर फांसी की सजा सुना दिया अपने मंत्री को कहा कि मंत्री तुमने बड़े बड़े राज्यों को जीतकर हमारा यस बढ़ाया है लेकिन तू एक छोटे से राज्य को इतने सैनिकों के बाद भी नहीं जीत पाए पीठ दिखा कर भाग आए इससे हमारी बड़ी बदनामी हुई है |
हम तुमको फांसी की सजा सुनाते हैं, जब मंत्री से उसकी आखिरी इच्छा पूछी गई तब मंत्री ने एक बार और उस राज्य में युद्ध करने की इच्छा प्रकट की, राजा ने सुना तो कहा मंत्री तुम कह रहे हो तो ठीक है हम तुम्हारी आखिरी इच्छा अवश्य पूरी करेंगे परंतु इस बार मात्र आपको पांच हजार सैनिक देंगे हम |
अब मंत्री पांच हजार सैनिकों को साथ लिया नाव से उस पार गया और सभी नाव में आग लगवा दिया सैनिकों ने कहा मंत्री साहब यह क्या किया आपने , मंत्री ने कहा दोनों तरफ मौत है अगर हार गए तो यहां मारे जाएंगे अगर लौट आए तो वहां फांसी में चढ़ के मरना पड़ेगा, इसलिए पूरे मन से युद्ध करो, युद्ध में विजय प्राप्त करना है इस बार | मंत्री और उनके पूरे सैनिक आत्मसमर्पण से युद्ध किए और मंत्री मात्र पांच हजार सैनिकों मे हि राज्य को जीत लिया | तो मनुष्यों को भी आत्मसमर्पण के साथ हर काम करना चाहिए |