भगवन्नाम का महत्त्व bhagwan ke naam ka mahatva

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 भगवन्नाम के नाम का महत्त्व 
bhagwan ke naam ka mahatva
 भगवन्नाम के नाम का महत्त्व  bhagwan ke naam ka mahatva
 स्कंद पुराण में वर्णित 

  • यमराज के द्वारा यमदूतों को भगवन्नाम का महत्व बतलाना-

गोविन्द माधव मुकुन्द हरे मुरारे
शम्भो शिवेश शशिशेखर शूलपाणे । 
दामोदराच्युत जनार्दन वासुदेव
त्याज्या भटा य इति सन्ततमामनन्ति ॥ 

मेरे सेवको ! जो मनुष्य गोविन्द, माधव, मुकुन्द, हरे, मुरारे, शम्भो, शिव, ईश, चन्द्रशेखर, शूलपाणि, दामोदर, अच्युत, जनार्दन और वासुदेव इत्यादि नामोंका सदा उच्चारण करते रहते हैं, उनको दूरसे ही त्याग देना । 

गङ्गाधरान्धकरिपो हर नीलकण्ठ
वैकुण्ठ कैटभरिपो कमठाब्जपाणे । 
भूतेश खण्डपरशो मृड चण्डिकेश
त्याज्या भटा य इति सन्ततमामनन्ति ॥ 

दूतो ! जो लोग सदा गङ्गाधर, अन्धकरिपु, हर, नीलकण्ठ, वैकुण्ठ, कैटभरिपु, कमठ, पद्मपाणि, भूतेश, खण्डपरशु, मृड, चण्डिकेश आदि नामोंका जप करते हैं, वे तुम्हारे लिये सर्वथा त्याज्य हैं। 

विष्णो नृसिंह मधुसूदन चक्रपाणे
गौरीपते गिरिश शंकर चन्द्रचूड । नारायणासुरनिबर्हण शाङ्गपाणे
त्याज्या भटा य इति सन्ततमामनन्ति ॥

मेरे दूतो ! विष्णु, नृसिंह, मधुसूदन, चक्रपाणि, गौरीपति, गिरिश, शङ्कर, चन्द्रचूड, नारायण, असुरविनाशन, शार्ङ्गपाणि इत्यादि नामोंका सदा जो लोग कीर्तन करते रहते हैं, उन्हें भी दूरसे ही त्याग देना उचित है ।
( स्क० पु० का० पू० ८ । ९९-१०१) । 

 भगवन्नाम के नाम का महत्त्व 
bhagwan ke naam ka mahatva

 श्रीमद् भागवत महापुराण में वर्णित 

स्वयम्भूर्नारदः शम्भुः कुमारः कपिलो मनुः । 
प्रहादो जनको भीष्मो बलिवैयासकिर्वयम् ॥ 

भगवान्के द्वारा निर्मित भागवतधर्म परम शुद्ध और अत्यन्त गोपनीय है । उसे जानना बहुत ही कठिन है । जो उसे जान लेता है, वह भगवत्स्वरूपको प्राप्त हो जाता है। 

द्वादशैते विजानीमो धर्म भागवतं भटाः। 
गुह्यं विशुद्धं दुर्बोधं पं ज्ञात्वामृतमश्नुते ॥

दूतो ! भागवतधर्मका रहस्य हम बारह व्यक्ति ही जानते हैंब्रह्माजी, देवर्षि नारद, भगवान् शङ्कर, सनत्कुमार, कपिलदेव स्वायम्भुव मनु, प्रह्लाद, जनक, भीष्मपितामह, बलि) शुकदेवजी और मैं ।
( श्रीमद्भा० ६।३ । २०-२१ । 

ते देवसिद्धपरिगीतपवित्रगाथा
_ये साधवः समदृशो भगवत्प्रपन्नाः। 
जो समदर्शी साधु भगवान्को ही अपना साध्य और साधन दोनों समझकर उनपर निर्भर हैं, बड़े-बड़े देवता और सिद्ध उनके पवित्र चरित्रोंका प्रेमसे गान करते रहते हैं । 

तान् नोपसीदत हरेर्गदयाभिगुप्तान 
नैषां वयं न च वयः प्रभवाम दण्डे ॥
(श्रीमद्भा० ६ । ३ । २७)

मेरे दूतो ! भगवान्की गदा उनकी सदा रक्षा करती रहती है । उनके पास तुमलोग कभी भूलकर भी मत फटकना । उन्हें दण्ड देनेकी सामर्थ्य न हममें है और न साक्षात् कालमें ही।

  • यमराज अपने दूतों से कहते हैं तुम किन लोगों को मेरे पास लाओगे सुनो-

जिह्वा न वक्ति भगवद्गुणनामधेयं
चेतश्च न स्मरति तच्चरणारविन्दम् । 
कृष्णाय नो नमति यच्छिर एकदापि तानानयध्वमसतोऽकृतविष्णुकृत्यान् ॥
( श्रीमद्भा० ६ । ३ । २९ ) 

जिनकी जीभ भगवान्के गुणों और नामोंका उच्चारण नहीं करती, जिनका चित्त उनके चरणारविन्दोंका चिन्तन नहीं करता और जिनका सिर एक बार भी भगवान् श्रीकृष्णके चरणों में नहीं झुकता, उन भगवत्सेवा-विमुख पापियोंको ही मेरे पास लाया करो।

 भगवन्नाम के नाम का महत्त्व 
bhagwan ke naam ka mahatva

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