एकादशी व्रत के नियम
ekadashi vrat katha niyam hindi mein
सनकादि मुनियों द्वारा एकादशी के नियमों का वर्णन
- दशमी,एकादशी,द्वादशीके नियम-
अथ ते नियमान् वच्मि व्रते ह्यस्मिन् दिनत्रये ।
कांस्यं मांसं मसूरान्नं चणकान् कोद्भवांस्तथा ॥
अब इस एकादशी-व्रतमें तीन दिनोंके पालन करने योग्य नियम बतलाता हूँ। काँसेका बर्तन, मांस (मांसाहारी भी न खाय), मसूर, चना, कोदो |
शाकं मधु परान्नं च पुनर्भोजनमैथुने ।
दशम्यां दश वस्तूनि वर्जयेद् वैष्णवः सदा ॥
शाक, मधु, पराया अन्न, दुबारा भोजन और मैथुन-दशमीके दिन इन दस वस्तुओंसे वैष्णव दूर रहे ।
द्यूतक्रीडां च निद्रां च ताम्बूलं दन्तधावनम् ।
परापवादं पैशुन्यं स्तेयं हिंसां तथा रतिम् ॥
जुआ खेलना, नींद लेना, पान खाना, दाँतुन करना, दूसरेकी निन्दा करना, चुगली करना, चोरी करना, हिंसा करना |
कोपं ह्यनृतवाक्यं च एकादश्यां विवर्जयेत् ।
कांस्यं मांसं सुरां क्षौद्रं तैलं वितथभाषणम् ॥
मैथुन करना और मिथ्या बोलना—एकादशीको ये ग्यारह कार्य न करे । काँसा, मांस ( मांसाहारी भी), मद्य, मधु, तेल, मिथ्या-भाषण |
व्यायामं च प्रवासं च पुनर्भोजनमैथुने ।
अस्पृश्यस्पर्शमासूरे द्वादश्यां द्वादश त्यजेत् ॥
व्यायाम, परदेश जाना, दुबारा भोजन, मैथुन तथा जो स्पर्श योग्य नहीं है, उसका स्पर्श करना और मसूर खाना—द्वादशीको इन बारह वस्तुओंका त्याग करे।
व्यायाम, परदेश जाना, दुबारा भोजन, मैथुन तथा जो स्पर्श योग्य नहीं है, उसका स्पर्श करना और मसूर खाना—द्वादशीको इन बारह वस्तुओंका त्याग करे।
(नारद० पूर्व० चतुर्थ० १२० । ८६-९०)
- एकादशी व्रत करने वालों को 3 दिन यह नियम करना चाहिए-
- एकादशी व्रत रखने वाले मनुष्यों को चाहिए कि वह दशमी एकादशी और द्वादशी को विशेषत: भगवान की आराधना करें |
- प्रातः काल ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान ध्यान करें, भगवान नारायण की पूजा करें, सत्य भाषण करें, ब्रह्मचर्य का पालन करें ,संतुलित आहार करें, विकारों से बचें |
- अपना हर कर्म करते हुए भी भगवान का स्मरण करते रहें ऐसा करने से एकादशी का व्रत आपका सफल होता है |
और भगवान नारायण की असीम कृपा आपको प्राप्त होती है भगवान नारायण की परमधाम के यह व्रत करने वाले मनुष्य अधिकारी हो जाते हैं |
- दशमी एकादशी और द्वादशी को क्या ना करें-
- दशमीके दिन इन दस वस्तुओंसे वैष्णव दूर रहें- कांसे का बर्तन उपयोग में ना लाएं, मांस मदिरा का सेवन कदापि ना करें, मसूर, चना, कोदो ,शाक, मधु, पराया अन्न, दुबारा भोजन और मैथुन-दशमीके दिन इन वस्तुओंसे वैष्णव दूर रहे ।
- एकादशीको ये ग्यारह कार्य न करें- जुआ खेलना, नींद लेना, पान खाना, दाँतुन करना, दूसरेकी निन्दा करना, चुगली करना, चोरी करना, हिंसा करना ,मैथुन करना और मिथ्या बोलना—एकादशीको ये ग्यारह कार्य न करें ।
- द्वादशीको इन बारह वस्तुओंका त्याग करें- काँसा, मांस ( मांसाहारी भी), मद्य, मधु, तेल, मिथ्या-भाषण ,व्यायाम, परदेश जाना, दुबारा भोजन, मैथुन तथा जो स्पर्श योग्य नहीं है, उसका स्पर्श करना और मसूर खाना—द्वादशीको इन बारह वस्तुओंका त्याग करें।
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