पापी और पुण्यात्माओं के लोक
papi or punyatma lok hindi

पापी और पुण्यात्माओं के लोक कौन कौन से हैं यह जानकारी हम इस लेख में प्राप्त करेंगे जोकि महाभारत के शांति पर्व से लिया गया है |
( महाभारत, शान्तिपर्व, अध्याय ७३ )
- पापियों का संग करने से बचें-
आसंयोगात्पापकृतामपापां
स्तुल्यो दण्डः स्पृशते मिश्रभावात् ।
शुष्केना दह्यते मिश्रभावा
नमिश्रः स्यात्पापकृद्भिः कथंचित् ॥२३॥
जैसे सूखी लकड़ियोंके साथ मिली होनेसे गीली लकड़ी भी जल जाती है, उसी तरह पापियोंके सम्पर्कमें रहनेसे धर्मात्माओंको भी उनके समान दण्ड भोगना पड़ता है। इसलिये पापियोंका सङ्ग कभी नहीं करना चाहिये ।
- पुण्यात्माओं को मिलने वाले लोक कैसे होते हैं-
पुण्यस्य लोको मधुमान्घृतार्चि
हिरण्यज्योतिरमृतस्य नाभिः ।
तत्र प्रेत्य मोदते ब्रह्मचारी
न तत्र मृत्युनं जरा नोत दुःखम् ॥२६॥
पुण्यात्माओंको मिलनेवाले सभी लोक मधुर सुखकी खान और अमृतके केन्द्र होते हैं । वहाँ घीके चिराग जलते हैं। उनमें सुवर्णके समान प्रकाश फैला रहता है । वहाँ न मृत्युका प्रवेश है, न वृद्धावस्थाका । उनमें किसीको कोई दुःख भी नहीं होता। ब्रह्मचारीलोग मृत्युके पश्चात् उन्हीं लोकोंमें जाकर आनन्दका अनुभव करते हैं ।
- पापियों का लोक बहुत भयानक होता है-
पापस्य लोको निरयोऽप्रकाशो
नित्यं दुःखं शोकभूयिष्टमेव ।
तत्रात्मानं शोचति पापकर्मा
बह्वीः समाः प्रतपन्नप्रतिष्ठः ॥२७॥
पापियोंका लोक है नरक, जहाँ सदा अँधेरा छाया रहता है । वहाँ अधिक-से-अधिक शोक और दुःख प्राप्त होते हैं । पापात्मा पुरुष वहाँ बहुत वर्षांतक कष्ट भोगते हुए अस्थिर एवं अशान्त रहते हैं, उन्हें अपने _ लिये बहुत शोक होता है ।
( महाभारत, शान्तिपर्व, अध्याय ७३ )
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पापी और पुण्यात्माओं के लोक
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