वृन्दावन का प्रसिध्द प्रेम मंदिर history of prem mandir vrindavan in hindi

 [ प्रेम मंदिर ]

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मित्रों आज हम अपने india-drishya साइट पर प्रेम मंदिर के बारे में जानेंगे |
यह प्रेम मंदिर उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले में भगवान श्री कृष्ण की लीला स्थली श्री धाम वृंदावन पर स्थित है , यह आधुनिक प्रेम मंदिर का लोकार्पण 17 फरवरी 2012 को हुआ है | जाति और धर्म के भेदभाव को मिटाकर प्रेम के दिव्य स्वरूप को दर्शाने वाले भगवान श्री कृष्ण वृंदावन धाम पर 8 वर्षों तक रहे और यहां रहते हैं वह कन्हैया कभी भी अपने पैरों पर चरण पादुका नहीं धारण की | यह प्रेम मंदिर मथुरा जन्मभूमि से लगभग 11 किलोमीटर दूर वृंदावन- छटीकरा मार्ग पर स्थित है |
वृन्दावन का प्रसिध्द प्रेम मंदिर/prem mandir history

चलिए अब बात करते हैं प्रेम मंदिर की स्थापना के विषय में- इस मंदिर का निर्माण जगद्गुरु कृपालुजी महाराज ने करवाया 14 फरवरी 2001 को लाखों श्रद्धालुओं की उपस्थिति में प्रेम मंदिर का शिलान्यास किया गया था | इस दिव्य प्रेम मंदिर की कलाकृति इसका निर्माण राजस्थान व उत्तर प्रदेश के शिल्पकारों ने अपने हजारों श्रमिकों के साथ नवीन दिव्य प्रेम मंदिर को गढ़ने में अपना योगदान प्रदान किया | और

11 साल बाद इस प्रेम मंदिर का दिव्य स्वरूप साकार होकर सामने आया |

मित्रों इस प्रेम मंदिर को सफेद इटालियन पत्थर से तराशा गया है और यह देश भर के अद्वितीय मंदिरों में से एक है | इस मंदिर का लोकार्पण 17 फरवरी 2011 को कृपालु जी के कर कमलों से किया गया | आइए अब हम प्रेम मंदिर के क्षेत्रफल के बारे में जानते हैं यह प्रेम मंदिर का निर्माण व विस्तार 54 एकड़ में है और इसकी ऊंचाई 125 फुट है, लंबाई 122 फुट तथा चौड़ाई 115 फुट है |
मित्रों अगर आप अभी तक वृंदावन जाकर प्रेम मंदिर नहीं गए तो मेरी रिक्वेस्ट है आपसे एक बार जरूर जाए प्रेम मंदिर की दिव्य छटा देखने | मित्रों यहां सौंदर्य ऐसा है कि जो एक बार जाए वह बार-बार आने की इच्छा करता है | प्रेम मंदिर का जो प्रवेश द्वार है उसकी शोभा देखते बनती है और उस पर जो लिखी लाइन है वह मुझे भूलती ही नहीं इसलिए मैं आप लोगों के सामने उस अद्भुत प्रेम परिभाषा की लाइन प्रकट करता हूं | जैसे कई लोगों के मन में प्रश्न उठता होगा कि भाई इस मंदिर का नाम प्रेम मंदिर क्यों रखा गया ? तो इसका उत्तर कृपालुजी महाराज प्रवेश द्वार पर ही दे दिए हैं |
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बहुत सुंदर पंक्तियों में लिखा है--

प्रेमा धीन ब्रह्म श्याम वेद ने बताया |
याते याय नाम प्रेम मंदिर धराया ||

और जैसे ही हम इस प्रवेश द्वार से प्रेम मंदिर के परिसर में पहुंचते हैं तो चारों तरफ व्रज के अनुपम सौंदर्य की झांकी को दर्शाया गया है | गार्डन ( वन ) में खड़ी व बैठी भाई गाय मानो चलना चाहती हैं | और हम जब कुछ और आगे बढ़ते हैं तो वहां भगवान की तरह तरह की लीलाएं जैसे- कन्हैया गोप ग्वालों के साथ मिलकर माखन चुरा रहे हैं , मैया यशोदा का कन्हैया के पीछे डंडा लेकर भागना, पूतना को मारना, रास लीला गोपियों के साथ आदि सब झांकियों के माध्यम से देखकर हृदय प्रफुल्लित हो जाता है |

 कुछ कदम और आगे बढ़ने पर बड़ा अनुपम दृश्य देखने को मिलता है 

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भगवान श्री कृष्ण गिरि गोवर्धन को अपने छोटी अंगुली पर उठाए हुए हैं | सभी ग्वाल बाल अपने अपने डंडे भी लगाए हैं, सभी बृजवासी गाय आदि गोवर्धन के नीचे हैं और गोवर्धन पर्वत से गिरता वह जल मानो हमें वह द्वापर युग पर ले जाकर वहां की अनुभूति सा करा देता है | मित्रों इस गोवर्धन पर्वत के ठीक सामने मंदिर के अंदर प्रवेश करने का मुख्य द्वार है | आइए हम लोग अब मंदिर के अंदर प्रवेश करें दर्शन करके भगवान का फिर घूमते हैं, क्योंकि अभी बहुत कुछ है | जैसे ही हम मंदिर में प्रवेश करते हैं हमको

राधा कृष्ण के दिव्य विग्रह के दर्शन प्राप्त होते हैं | 

वहां के जो पुजारी जी हैं उनके हाथों से प्रसाद प्राप्त होता है और मंदिर के जगमोहन में भगवान के भजनों का गायन होता रहता है वह बड़ा ही मधुर संगीत रहता है कि बस सुनते ही जाओ | और वहीं पर महा पुरुषों के पुराने आचार्यों के दिव्य छवि का दर्शन हमें वहां के दीवारों पर प्राप्त होता है | दो चार कदम आगे बढ़ने पर हमें दूसरे मंजिल तक जाने के लिए सीढ़ियां मिलती हैं, तो आइए हम सीड़ियों के माध्यम से ऊपर चढ़ते हैं, जैसे ही हम ऊपर दूसरी मंजिल पर आते हैं हमें दिव्य राम दरबार के दर्शनों का लाभ प्राप्त होता है |

बड़ी माधुरी छवि है भगवान श्री राम जी की 

और उनके ठीक सामने गोलोक वासी जगद्गुरु कृपालुजी महाराज की मूर्ति है, उसको देखने पर ऐसा प्रतीत होता है मानो साक्षात कृपालुजी जीवित अवस्था में बैठे हुए मुस्कुरा रहे हों |और वहीं से हम पुनः सीड़ियों के माध्यम से बाहर की तरफ आ जाएंगे , मित्रों इस प्रेम मंदिर के नजारा को तो रात्रि में देखना चाहिए , इसकी रंग बिरंगी लाइट मन को मोह लेती है और एक इंपोर्टेंट बात यह है कि अगर आप शाम टाइम लगभग 7:00 बजे से चलने वाला पानी का फुहारा नहीं देखे हैं तो एक बार रुक कर उसे जरूर देखें |
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भजन के साथ पानी के फुहारों में कृपालु जी महाराज का गायन बहुत ही दिव्य है और प्रेम मंदिर के परिसर में लगी बड़ी सी  एलइडी टीवी जिसमें प्रवचन का चलना बहुत ही अच्छा लगता है और वहीं पास में कैंटीन भी है अगर हमें कुछ खाना पीना हो तो खा सकते हैं और जब हम मंदिर परिसर से बाहर की ओर निकलते हैं , तो उल्टे हाथ में

कालिया नाग के ऊपर भगवान कृष्ण कन्हैया का नृत्य करना 

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वह झांकी देख कर मानो जीवन सफल हो गया |

जय श्री राधे जय श्री कृष्णा

  वृन्दावन का प्रसिध्द प्रेम मंदिर history of prem mandir vrindavan in hindi  

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