शिवभक्तिकी महिमा shiv bhakti mahima

  शिवभक्तिकी महिमा  
shiv bhakti mahima
  शिवभक्तिकी महिमा shiv bhakti mahima
पुराण वक्ता श्री सूत जी महाराज के द्वारा शिव भक्ति की महिमा का अनुपम वर्णन जिसे पढ़कर हम शिव जी की कृपा उनका आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं |
shiv bhakti mahima shlok
 सा जिह्वा या शिवं स्तौति तन्मनो ध्यायते शिवम् । 
तौ कर्णौ तत्कथालोलौ तौ हस्तौ तस्य पूजकौ ॥
 ते नेत्रे पश्यतः पूजां तच्छिरः प्रणतं शिवे । 
तौ पादौ यौ शिवक्षेत्रं भक्त्या पर्यटतः सदा। 
यस्येन्द्रियाणि सर्वाणि वर्तन्ते शिवकर्मसु । 
स निस्तरति संसारं भुक्ति मुक्तिं च विन्दति ॥

शिवभक्तियुतो मर्पश्चाण्डाल: पुल्कसोऽपि च ।
नारी नरो वा षण्डो वा सद्यो मुच्येत संसृतेः ॥
(स्कन्द० पु. ब्रा० ब्रह्मो० ४ । ७-१०) 
shiv bhakti mahima in hindi

वही जिह्वा सफल है, जो भगवान् शिवकी स्तुति करती है । वही मन सार्थक है, जो शिवके ध्यानमें संलग्न होता है। वे ही कान सफल हैं, जो भगवान् शिवकी कथा सुननेके लिये उत्सुक रहते हैं और वे ही दोनों हाथ साथक हैं, जो शिवजीकी पूजा करते हैं।

वे नेत्र धन्य हैं, जो महादेवजीका दर्शन करते हैं । वह मस्तक धन्य है, जो शिवके सामने झुक जाता है । वे पैर धन्य हैं, जो भक्तिपूर्वक शिवके क्षेत्रमें सदा भ्रमण करते हैं ।

जिसकी सम्पूर्ण इन्द्रियाँ भगवान् शिवके कार्योंमें लगी रहती हैं, वह संसारसागरके पार हो जाता है और भोग तथा मोक्ष प्राप्त कर लेता है।

शिवकी भक्तिसे युक्त मनुष्य चाण्डाल, पुल्कस, नारी, पुरुष अथवा नपुंसक-कोई भी क्यों न हो, तत्काल संसार-बन्धनसे मुक्त हो जाता है।


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