भगवान्का गुणानुवाद bhagwan ka gunanuvad lyrics

  •  भगवान्का गुणानुवाद 

भगवान्का गुणानुवाद bhagwan ka gunanuvad lyrics

निवृत्ततरुपगीयमानाद् भवौषधाच्छ्रोत्रमनोऽभिरामात् । 
क उत्तमश्लोकगुणानुवादात् पुमान् विरज्येत विना पशुघ्नात् ॥
( श्रीमद्भा० १० । १ । ४) 
जिनकी तृष्णाकी प्यास सर्वदाके लिये बुझ चुकी है, वे जीवन्मुक्त महापुरुष जिसका पूर्ण प्रेमसे अतृप्त रहकर गान किया करते हैं, मुमुक्षुजनोंके लिये जो भवरोगका रामबाण ___ औषध है तथा विषयी लोगोंके लिये भी उनके कान और मनको परम आह्लाद देनेवाला है, भगवान् श्रीकृष्णचन्द्रके ऐसे सुन्दर, सुखद, रसीले, गुणानुवादसे पशुधाती अथवा आत्मघाती मनुष्यके अतिरिक्त और ऐसा कौन है जो विमुख । हो जाय, उससे प्रीति न करे ?



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