F लभेत सिकतासु तैलमपि श्लोकार्थ- labhet siktasu shlok sanskrit hindi arth sahit - bhagwat kathanak
लभेत सिकतासु तैलमपि श्लोकार्थ- labhet siktasu shlok sanskrit hindi arth sahit

bhagwat katha sikhe

लभेत सिकतासु तैलमपि श्लोकार्थ- labhet siktasu shlok sanskrit hindi arth sahit

लभेत सिकतासु तैलमपि श्लोकार्थ- labhet siktasu shlok sanskrit hindi arth sahit
लभेत सिकतासु तैलमपि श्लोक-
लभेत सिकतासु तैलमपि श्लोकार्थ- labhet siktasu shlok sanskrit hindi arth sahit
लभेत सिकतासु तैलमपि यत्नतः पीडयत्
    पिबेच्च मृगतृष्णिकासु सलिलं पिपासार्दितः ।
कदाचिदपि पर्यटञ्छशविषाणमासादयेत्
    न तु प्रतिनिविष्टमूर्खजनचित्तमाराधयेत् ॥


लभेत सिकतासु तैलमपि श्लोकार्थ-

अथक प्रयास करने पर रेत से भी तेल निकला जा सकता है तथा मृग मरीचिका से भी जल ग्रहण किया जा सकता हैं। यहाँ तक की हम सींघ वाले खरगोशों को भी दुनिया में विचरण करते देख सकते है; लेकिन एक पूर्वाग्रही मुर्ख को सही बात का बोध कराना असंभव है।  

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नीति श्लोक व शुभाषतानि के सुन्दर श्लोकों का संग्रह- हिंदी अर्थ सहित। }

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