F श्रीकृष्णकी महिमा संस्कृत श्लोक हिंदी अर्थ सहित shri krishna mahima shlok hindi arth sahit - bhagwat kathanak
श्रीकृष्णकी महिमा संस्कृत श्लोक हिंदी अर्थ सहित shri krishna mahima shlok hindi arth sahit

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श्रीकृष्णकी महिमा संस्कृत श्लोक हिंदी अर्थ सहित shri krishna mahima shlok hindi arth sahit

श्रीकृष्णकी महिमा संस्कृत श्लोक हिंदी अर्थ सहित shri krishna mahima shlok hindi arth sahit
  •  श्रीकृष्णकी महिमा 
श्रीकृष्णकी महिमा संस्कृत श्लोक हिंदी अर्थ सहित shri krishna mahima shlok hindi arth sahit

श्रीकृष्णकी महिमा संस्कृत श्लोक हिंदी अर्थ सहित  
अतः सत्यं यतो धर्मो मतो हीरार्जवं यतः ।
ततो भवति गोविन्दो यतः कृष्णस्ततो जयः ॥
श्रीकृष्ण तो वहीं रहते हैं जहाँ सत्य, धर्म, लजा और सरलताका निवास होता है और जहाँ श्रीकृष्ण रहते हैं, वहीं विजय रहती है।

पृथिवीं चान्तरिक्षं च दिवं च पुरुषोत्तमः ।
विचेष्टयति भूतात्मा क्रीडन्निव जनार्दनः ।।
वे सर्वान्तर्यामी पुरुषोत्तम जनार्दन मानो क्रीडासे ही पृथ्वी, आकाश और स्वर्गलोकको प्रेरित कर रहे हैं।

कालचक्रं जगच्चक्रं युगचक्रं च केशवः ।
आत्मयोगेन भगवान् परिवर्तयतेऽनिशम् ॥
ये श्रीकेशव ही अपनी चिच्छक्तिसे अहर्निश कालचक्र, जगच्चक्र और युगचक्रको घुमाते रहते हैं।

कालस्य च हि मृत्योश्च जङ्गमस्थावरस्य च ।
ईष्टे हि भगवानेकः सत्यमेतद् ब्रवीमि ते ॥
मैं सच कहता हूँ—एकमात्र वे ही काल, मृत्यु और सम्पूर्ण स्थावर-जंगम जगत्के स्वामी है तथा अपनी मायाके द्वारा लोकोंको मोहमें डाले रहते हैं।

तेन वंचयते लोकान् मायायोगेन केशवः ।
ये तमेव प्रपद्यन्ते न ते मुह्यन्ति मानवाः ॥
जो लोग केवल उन्हींकी शरण ले लेते हैं, वे ही मोहमें नहीं पड़ते।
(महा० उद्योग० ६८ । ९ -१० ,१ २ -१३ ,-१५ ) 

यत्र योगेश्वरः कृष्णो यत्र पार्थो धनुर्धरः । 
तत्र श्रीविजयो भूतिधुंवा नीतिर्मतिर्मम ॥
( गीता १८ । ७८ ) 
जहाँ योगेश्वर भगवान् श्रीकृष्ण हैं और जहाँ गाण्डीवधनुर्धारी अर्जुन हैं, वहीं श्री, विजय, विभूति और निश्चल नीति है—यह मेरा मत है।

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