व्यालं बालमृणालतन्तुभिरसौ श्लोकार्थ -vyalam bal mrinaltantu bhirsau shlok sanskrit hindi arth sahit

(भर्तहरि शतक श्लोक संख्या 6)
व्यालं बालमृणालतन्तुभिरसौ श्लोकार्थ -vyalam bal mrinaltantu bhirsau shlok sanskrit hindi arth sahit
व्यालं बालमृणालतन्तुभिरसौ श्लोक -

व्यालं बालमृणालतन्तुभिरसौ रोद्धुं समुज्जृम्भते
    छेत्तुं वज्रमणीञ्छिरीषकुसुमप्रान्तेन सन्नह्यते ।
माधुर्यं मधुबिन्दुना रचयितुं क्षाराम्बुधेरीहते
    नेतुं वाञ्छति यः खलान्पथि सतां सूक्तैः सुधास्यन्दिभिः ॥[6]


व्यालं बालमृणालतन्तुभिरसौ श्लोकार्थ -

अपनी शिक्षाप्रद मीठी बातों से दुस्ट पुरुषों को सन्मार्ग पर लाने का प्रयास करना उसी प्रकार है जैसे एक मतवाले हाथी को कमल कि पंखुड़ियों से बस मे करना, या फ़िर हीरे को शिरीशा फूल से काटना अथवा खारे पानी से भरे समुद्र को एक बूंद शहद से मीठा कर देना।    

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