स्वायत्तमेकान्तगुणं विधात्रा विनिर्मितं छादानमज्ञतायाः ।
विशेषतः सर्वविदां समाजे विभूषणं मौनमपण्डितानाम् ॥[7 ]
स्वायत्तमेकान्तगुणं विधात्रा श्लोकार्थ -
अपनी मूर्खता छिपाने के लिये भगवान ने मूर्खों को मौन धारण करने का एक अद्भुत सुरक्षा कवच दिया है, जो उनके अधीन भी है। विद्वानो से भरी सभा मे "मौन रहना" मूर्खो के लिये आभूषण से कम नहीं है।
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