यां चिन्तयामि सततं श्लोकार्थ - yam chintyami satatama shlok sanskrit hindi arth sahit


  • यां चिन्तयामि सततं श्लोक-
यां चिन्तयामि सततं श्लोकार्थ - yam chintyami satatama shlok sanskrit hindi arth sahit
यां चिन्तयामि सततं मयि सा विरक्ता,
साप्यन्यमिच्छति जनं स जनोऽन्यसक्तः । 
अस्मत्कृते च परिशुष्यति काचिदन्या,
धिक्तां च तं च मदनं च इमां च मां च ॥ -2 

यां चिन्तयामि सततं श्लोकार्थ -
जिस स्त्री से मैं प्रेम करता हूँ उसके ह्रदय में मेरे लिए कोई प्रेम नहीं है,बल्कि वह किसी और से प्रेम करती है,जो किसी और से प्रेम करता है, और जो स्त्री मुझसे प्रेम करती है उसके लिए मेरे ह्रदय में कोई स्नेह नहीं है। मुझे इन सभी से और खुद से घृणा है।

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