प्रातः स्मरणीय श्लोकाः- यह 9 श्लोक सब को पड़ना चाहिए / pratah kal ke mangal shlok mantra

 प्रातः स्मरणीय श्लोकाः 

प्रातः स्मरणीय श्लोकाः- यह 9 श्लोक सब को पड़ना चाहिए / pratah kal ke mangal shlok mantra


यह 9 श्लोक सब को पड़ना चाहिए

 गणेशस्मरणम्: -

 प्रातः स्मरामि गणनाथनाथ प्रबंधधुन

 सिन्दूरर्परिशोभितगण्डज्ञानम्।

 उद्दण्डविघ्नपरिखण्डनचण्डदण्ड

 माखण्डलादिसुरनायकवृन्दवंद्यम् ।।

 अनाथो के बन्धु, सिन्दूर से शोभयमान दोनों कपोलवाले, प्रबल विघ्न को नष्ट करने में समर्थ & इन्द्रादि देवों से नमस्कार श्री गणेश का मैं स्मरण करता हूँ।


 विष्णुस्मरणम्: -

 प्रातः स्मरामि अभिष्यतिहर तिनाशं

 नारायणं गरुड़वाहनमब्जनामे।

 ग्राहाभिभूतवरवारणमुक्तिहेतुं

 चक्रयुधं तरुणविजपत्रनेत्रम्।

 संसार के भयरूपी महान् दुःख को नष्ट करने वाले, न्यू से गजराज को मुक्त करने वाले चक्रधारी पद्मनाभ और कमलदल के समान नेत्रवाले, गरुड़वाहन भगवान् श्रीनारायण का मैं स्मरण करता हूँ।


 शिवस्मरणम्: -

 प्रातः स्मरामि अभिभक्तिहरं सुरेशं

 गंगाधरं वृषभवाहनमम्बिकम्।

 खट्वाङ्गशूलवरदाभयहस्तमीशं

 संसाररोगरमौषधम्वर मम ।।

 संसार के भय को नष्ट करने वाले देवेश, गँगाधर, वृषभवा पार्वतीपति हाथ में खट्वा त्र्ग और त्रिशूल लिए और संसार रूपी रोग को नष्ट करने के लिए सभी औषध स्वरूप भगवान शिव का स्मरण करते हूँ।


 देवीस्मरणम्: -

 प्रातः स्मरामि शरणिन्दुकरोज्ज्वलाभाम्

 सरावतवन्मकरकुण्डलहारशोभाम्।

 दिव्यायुधार्जितसुनीलसहस्रहस्ताम्

 रक्तोत्पलाभंजनं भवतिं प्रमः ।।

 शरद् कालीन चन्द्र ममन उज्ज्वल चमकाली उत्तम रत्ना सेजटित मकर कुंडलल हारों से सुशोभितदिव्ययु स्थितियों से युक्त, सुंदर बिल्लियाँ हाथों वाली, लाल कमल की आवाज़ युक्त चरणों वाली भगवती दुर्गा देवी की मैं स्मरण करती हूँ।


 सूर्यस्मरण: -

 प्रातः स्मरामि खलु तत्सवितुर्वरेण्यम्

 रूपं हि मण्डलमृचोऽथ तनुर्यजूंषि।

 वशी यस्य किरणः प्रभवादिहेतुं

 व्रह्महिरात्मकमलक्षेमचिन्त्यरूपम् ।।

 सूर्य का वह प्रशस्त जिसका मण्डल ऋग्वेद कलेवर यजुर्वेद और किरणे सामवेद हैं।  जो सृष्टि के उत्पत्ति आदि के कारण हैं, ब्रह्मा, शिव स्वरूप हैं और जिनका स्वरूप अचिन्त्य और अलक्षित है प्रातःकाल उनकी स्मरण करता हूँ।


 नवग्रहस्मरणम्: -

 ब्रह्मामुरारिस्त्रिपुरान्तकारी

 भानुः शशि भूमिसुतो बुधश्चः।

 गुरुश्च शुक्रः शनिराहुकेतवः

 कुर्वन्तु सर्वे मम सुप्रभातम् ।।

 ब्रह्मा, विष्णु, शिव, सूर्य, चन्द्रमा, मंगल, बुध, वृहस्पति, शुक्र, शनि, राहु और केतु ये सभी मेरे प्रातःकाल को मंगलमय करें।


 ऋषिस्मरणम्: -

 भृगुर्वृष्टिः क्रतुरांगिरश्च

 मनुः पुलस्त्यः पुलहश्च गौतमः।

 रैभ्यो मरीचिश्च्यवनश्च प्रकृतः

 कुर्वन्तु सर्वे मम सुप्रभातम् ।।

 भृगु, वशिष्ठ, क्रतु, अंगिरा, मनु, पुलस्त्य, पुलह, गौतम, रेभ्य, मरीचि, च्यवन आर तक्ष ये सभी मुनिगण मेरे प्रातःकाल को मंगलमय कर रहे हैं।


 प्रकृतिस्मरण: -

 पृथ्वी सगणनाथ सरसस्तथापः

 स्पर्शी च वायुवाहं च तेजः।

 नभः सशब्दं महसा सहैव

 कुर्वन्तु सर्वे मम सुप्रभातम् ।।

 गन्धकृत पृथ्वी, रसयुक्त जल, स्पर्शयुक्त वायु, प्रज्ज्वलित तेज, शब्दसहित आकाश ये सभी मेरे प्रातःकाल को मंगलमय करें।


 पुनः विष्णुस्मरणम्: -

 सुप्तः प्रवृद्धो विष्णो हृद्यपकेन यत्त्वया।

 बलात्कारसेसे कर्म तब करोमि तवाज्ञया ।।


 हे भगवान विष्णु!  आपने मुझे सोने से जगाया, अतः आप मुझसे मुझसे जो कर्म करायेंगे, वही मैं करूँगा।

0/Post a Comment/Comments

आपको यह जानकारी कैसी लगी हमें जरूर बताएं ? आपकी टिप्पणियों से हमें प्रोत्साहन मिलता है |

Stay Conneted

(1) Facebook Page          (2) YouTube Channel        (3) Twitter Account   (4) Instagram Account

 

 



Hot Widget

 

( श्री राम देशिक प्रशिक्षण केंद्र )

भागवत कथा सीखने के लिए अभी आवेदन करें-


close