प्रातः जागृत-कर्तव्य- सुबह उठते ही यह कार्य अवश्य करें / pratah kal ke kartavya in hindi pratah kal niyam

 प्रातः जागृत-कर्तव्य 

प्रातः जागृत-कर्तव्य- सुबह उठते ही यह कार्य अवश्य करें / pratah kal ke kartavya in hindi pratah kal niyam

सुबह उठते ही यह कार्य अवश्य करें 

सूर्योदय से एक घण्टा पूर्व मनुष्य शय्या का परित्याग करे । ब्राह्ममुहूर्त की निद्रा मनुष्य के लिए पुण्यक्षयकारिणी होती है अतः प्रयत्नतः इसे छोड़ना चाहिए । 

ब्राह्म-मुहूर्त में उठकर अधोलिखित मंत्र को बोलते हुए अपने हाथ का अवलोकन करें।

कराग्रे वसते लक्ष्मी: करमध्ये सरस्वती ।

करमूले स्थितो ब्रह्मा प्रभाते करदर्शनम् ॥

 हाथ के अग्रभाग में लक्ष्मी, हाथ के मध्य भाग में सरस्वती और हाथ के मूल भाग में ब्रह्माजी निवास करते हैं । अतः प्रातःकाल दोनों हाथों का अवलोकन करना चाहिए । (आचार प्रदीप) । 

इसके बाद नीचे लिखी प्रार्थना कर पृथ्वी पर पैर रखें ।

समुद्रवसने देवि ! पर्वतस्तनमण्डले ।

विष्णुपनि ! नमस्तुभ्यं पादस्पर्श क्षमस्व मे ।। 

हे विष्णुपत्नि ! हे समुद्ररूपी वस्त्रों को धारण करने वाली तथा पर्वत रूप स्तनों से युक्त पृथ्वी देवि ! तुम्हें नमस्कार है । मेरे पाद-स्पर्श को क्षमा करो।

इसके बाद मूल-शुद्धि के लिए तीन बार कुल्लाकर, जल के छींटे से आँखों को धोकर, साफ बर्तन में रखे हुए ढके वासी स्वच्छ जल को पी ले । 

इससे अनेक व्याधियाँ दूर होती हैं । अपने इष्ट देवता का स्मरण कर अपनी मनोरथ-सिद्धि को ध्यान में रखकर  मंगल श्लोकों से  व मंत्रों से गणेशादि देवों का स्मरण करें।


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