मलोत्सर्ग- नियम
शौचाचार के यह है नियम
शौच के पूर्व दाहिने कान पर जनेऊ लपेट कर मौनी वस्त्र से सिर ढककर, ग्रामवासी गाँव से दूर जलपात्र लेकर तथा नगरवासी ग्रह के शौचालय में सुविधानुसार मूत्र पुरीष का उत्सर्ग करें ।
इस क्रिया में बल का प्रयोग हानिकारक सिद्ध होता है । शौचकर पदार्थ (मिट्टी सावुन आदि) सहित शीतल जल से पायूपस्थ शुद्ध कर लें ।
इसके बाद शुद्ध जल से हाथ पैर धोकर तीन से आठ बार अपने वाम भाग में कुल्ला करें।