दन्तधावन की आवश्यकता
दुर्गन्धयुक्त मुख से उच्चारित मन्त्र निष्फल होता है तथा मन अप्रसन्न रहता है । अतएव मुखशुद्धि आवश्यक है ।
अपनी सुविधा एवं अभ्यास के अनुसार तिक्त रसयुक्त निम्ब आदि के द्वादश अंगल लम्बे एवं कनिष्ठा अंगुल के अग्रभाग तुल्य मोटे छिलकेदार काप्ठ को धोकर उससे अथवा उपलब्ध दंतमंजन आदि द्रव्यों से मुखशुद्धि कर लें ।
दन्त धावन के फाड़े हुए भाग एवं सिहुला से जिह्वा को स्वच्छ कर लें ।