तैलाभ्यंग-

शुद्ध सरसों के तेल से नित्य स्नान से पूर्व मालिश करना पुष्टिदायके होता है । विशेषकर सिर, नाक, कान एवं पैरों में तैलशीलन स्वास्थ्यजनक होता है ।
ज्वर एवं अजीर्ण रोगग्रस्त मनुष्य को तैलमर्दन नहीं करना चाहिए । इसके वाट यथासाध्य कुछ न कुछ व्यायाम या आगन शरीर की सुदृढ़ता के लिए करणीय है।