श्री नारायणाष्टकम् - shri narayana ashtakam lyrics

श्रीनारायणाष्टकम्

श्रीनारायणाष्टकम् -  shri narayana ashtakam lyrics


वात्सल्यादभयप्रदानसमयादाार्तिनिर्वाणा दौदार्यादघशोषणादगणितश्रेय: पदप्रापणात् । 

सेव्य: श्रीपतिरेक एव जगतामेतेऽभवन्साक्षिण: प्रहलादश्च विभीषणश्च करिराट् पांचाल्यहल्या ध्रुव" ||1|| 


प्रहलादास्ति यदीश्वरो वद हरि: सर्वत्र मे दर्शय स्तम्भे चैवमिति ब्रुवन्तमसुरं तत्राविरासीद्धरिः ।

वक्षस्तस्य विदारयन्निजनखैर्वात्सल्यमापादयन्नार्तत्राणपरायण: स भगवान्नारायणो मे गति: ।।2।। 


श्रीरामात्र विभीषणोऽयमनघो रक्षोभयादागत: सुग्रीवानय पालयैनमधुना पौलस्त्यमेवागतम् । 

इत्युक्त्वाभयमस्य सर्वविदितं यो राघवो दत्तवानार्त. ।।3।। 


नक्रग्रस्तपदं समुद्धतकरं ब्रह्मादयो भो सुरा: पाल्यन्तामिति दीनवाक्यकरिणं देवेश्वशक्तेषु य: । 

मा भैषीरिति यस्य नकहनने चक्रायुध: श्रीधर | आर्त. ।। 4||


भो कृष्णाच्युत भो कृपालय हरे भो पाण्डवानां सखे क्वासि क्वासि सुयोधनादपह्रतां भो रक्ष मामातुराम् । इत्युक्तोऽक्षयवस्त्रसंभृततनुं योऽपालयद्रौपदीमार्त. ।।5।।


यत्पादाब्जनखोदकं त्रिजगतां पापौघविध्वंसनं यन्नामामृतपूरकं च पिबतां संसारसंतारकम् । 

पाषाणोऽपि यन्घ्रिपद्मरजसा शापान्मुनेर्मोचित । आर्त. ।। 6।। 


पित्रा भ्रातरमुत्तमासनगतं चौत्तानपादिभ्रुवो दृष्ट्वा तत्सममारूरुक्षुरधृतो मात्रावमानं गत: । 

यं गत्वा शरणं यदाप तपसा हेमाद्रिसिंहासनमार्त. 117।। 


आर्ता विषन्णा: शिथिलाश्च भीता घोरेषु च व्याधिषु वर्तमाना: । 

नारायणशब्दमात्रं विमुक्तदु:खा: सुखिनो भवन्ति ||8।।

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