F अत्र सर्गो विसर्गश्च /atra sargo visargashcha - bhagwat kathanak
अत्र सर्गो विसर्गश्च /atra sargo visargashcha

bhagwat katha sikhe

अत्र सर्गो विसर्गश्च /atra sargo visargashcha

अत्र सर्गो विसर्गश्च /atra sargo visargashcha

 अत्र सर्गो विसर्गश्च /atra sargo visargashcha


अत्र सर्गो विसर्गश्च स्थानं पोषणमूतयः |
मन्वन्तरेशानुकथा निरोधो मुक्तिराश्रयः ||

सर्ग ,विसर्ग ,स्थान ,पोषण, ऊति, मन्वंतर, ईशानु कथा ,निरोध, मुक्ति और आश्रय |
तृतीय स्कंध को सर्ग कहते हैं-- इसमें सूक्ष्म सृष्टि का वर्णन किया गया है |
चतुर्थ स्कंध को विसर्ग कहते हैं --ब्रह्मा जी से लेकर चराचर जगत की सृष्टि विसर्ग है |
पंचम स्कंध को स्थान कहते हैं-- प्रतीक्षण विनाश की ओर बढ़ने वाली सृष्टि को एक मर्यादा में स्थिर रखने से भगवान की जो श्रेष्ठता सिद्ध होती है उसे स्थान कहते हैं |

छठमें स्कंध को पोषण कहते हैं-- भगवान की अपने भक्तों पर अहैैतुक कृपा ही पोषण है|
 सातमें स्कंध को ऊति कहते हैं-- जीवों की बे वासनाएं जो उन्हें कर्म बंधन में डाल देती हैं उन्हें ऊति कहते हैं |
 आठवें स्कन्ध को मन्वंतर कहते हैं---मन्वंतर के अधिपति जो मनु राजा पालन रूप सुधर्म का अनुष्ठान करने वाले हैं उसे मन्वंतर कहते हैं |
नवमें स्कंध को ईषानु कथा कहते हैं--- भगवान और भगवान के भक्तों की विविध आख्यानों को ईशानुकथा कहा गया है |

 दशम स्कंध निरोध है----जब भगवान योग निद्रा का आश्रय ले सयन करना चाहते हैं उस समय जीव अपनी उपाधियों के साथ प्रभु में लीन हो जाता है वही निरोध है|
 11 में स्कंध को मुक्ति कहते हैं------

मुक्तिर्हित्वान्यथारूपं स्वरूपेण व्यवस्थितिः ||

अनात्म भाव का परित्याग और अपने वास्तविक स्वरूप परमात्मा में स्थित होना ही मुक्ति हैै
और बारहवें स्कन्ध को आश्रय कहते हैं ------इस जगत की उत्पत्ति और प्रलय जिस तत्व से प्रकाशित होता है वह परम ब्रह्म ही सबका आश्रय है |


 अत्र सर्गो विसर्गश्च /atra sargo visargashcha

  • आप के लिए यह विभिन्न सामग्री उपलब्ध है-

 भागवत कथा , राम कथा , गीता , पूजन संग्रह , कहानी संग्रह , दृष्टान्त संग्रह , स्तोत्र संग्रह , भजन संग्रह , धार्मिक प्रवचन , चालीसा संग्रह , kathahindi.com 

आप हमारे  whatsapp  ग्रुप से जुड़ने के लिए यहाँ क्लिक करें- click here

अत्र सर्गो विसर्गश्च /atra sargo visargashcha

हमारे YouTube चैनल को सब्स्क्राइब करने के लिए क्लिक करें- click hear 


 अत्र सर्गो विसर्गश्च /atra sargo visargashcha


Ads Atas Artikel

Ads Center 1

Ads Center 2

Ads Center 3