चीराणि किं पथि न सन्ति /chirani kim pathi na santi
चीराणि किं पथि न सन्ति दिशन्ति भिक्षां
नैवाङ्घ्रिपाः परभृतः सरितोप्यशुष्यन् |
रुद्धा गुहाः किमजितोवति नोपसन्नान्
कस्माद् भजन्ति कवयो धनदुर्मदान्धान् ||
क्या मार्ग में चीरवत्कल नहीं पड़े रहते क्या वृक्षों ने हमें फल फूल की भिक्षा देना बंद कर दिया है क्या नदियों का जल सूख गया है क्या शरणागत की रक्षा करना पालन करना भगवान ने बंद कर दिया है|
चीराणि किं पथि न सन्ति /chirani kim pathi na santi
- आप के लिए यह विभिन्न सामग्री उपलब्ध है-
भागवत कथा , राम कथा , गीता , पूजन संग्रह , कहानी संग्रह , दृष्टान्त संग्रह , स्तोत्र संग्रह , भजन संग्रह , धार्मिक प्रवचन , चालीसा संग्रह , kathahindi.com
आप हमारे whatsapp ग्रुप से जुड़ने के लिए यहाँ क्लिक करें- click here
हमारे YouTube चैनल को सब्स्क्राइब करने के लिए क्लिक करें- click hear