सत्यां क्षितौ किं कशिपोः प्रयासै /Satyāṁ kṣhitau kiṁ
यदि पृथ्वी पर सोने से काम चल जाता है तो गद्दे के लिए पलंग के लिए प्रयास करने की क्या आवश्यकता है | भुजाओं के होते हुए तकिए की क्या आवश्यकता अंजलि के होते हुए बहुत से पात्र एकत्रित करने की क्या आवश्यकता और चीर वतकल पहन कर काम चल जाता है तो अनेकों वस्त्रों से क्या प्रयोजन |
सत्यां क्षितौ किं कशिपोः प्रयासै /Satyāṁ kṣhitau kiṁ
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