दुर्भगो बत लोकोयं /durbhago bat lokoyam
दुर्भगो बत लोकोयं यदवो नितरामपि |
ये संवसन्तो न विदुर्हरिं मीना इवोडुपम् ||
विदुर जी यह लोक भाग्य हीन है और उसमें भी यदुवंशी तो नितांत अभागे हैं जो श्री कृष्ण के साथ रहते हुए भी उन्हें पहचान नहीं सके | जैसे अमृत में चंद्रमा के समुद्र में रहते हुए मछलियां उसे नहीं पहचान पाती |
दुर्भगो बत लोकोयं /durbhago bat lokoyam
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