Tyajet Ekam Kulasya Arthe /त्यजेत एकं कुलस्यार्थे
त्यजेत एकं कुलस्यार्थे ग्रामस्यार्थे कुलं त्यजेत |
ग्रामं जनपदस्यार्थे आत्मार्थे पृथ्वीं त्यजेत ||
यदि एक व्यक्ति के त्याग से कुल की रक्षा हो रही है तो उसका त्याग कर देना चाहिए गांव के लिए कुल का और नगर के लिए गांव का भी क्या कर देना चाहिए|
Tyajet Ekam Kulasya Arthe /त्यजेत एकं कुलस्यार्थे
- आप के लिए यह विभिन्न सामग्री उपलब्ध है-
भागवत कथा , राम कथा , गीता , पूजन संग्रह , कहानी संग्रह , दृष्टान्त संग्रह , स्तोत्र संग्रह , भजन संग्रह , धार्मिक प्रवचन , चालीसा संग्रह , kathahindi.com
आप हमारे whatsapp ग्रुप से जुड़ने के लिए यहाँ क्लिक करें- click here
हमारे YouTube चैनल को सब्स्क्राइब करने के लिए क्लिक करें- click hear