F dyutam panam striyah suna /द्यूतं पानं स्त्रियः सूना - bhagwat kathanak
dyutam panam striyah suna /द्यूतं पानं स्त्रियः सूना

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dyutam panam striyah suna /द्यूतं पानं स्त्रियः सूना

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 dyutam panam striyah suna /द्यूतं पानं स्त्रियः सूना 


द्यूतं पानं स्त्रियः सूना यत्राधर्मश्चतुर्विधः |
पुनश्च याचमानाय जातरूपमदात्प्रभुः |
ततोनृतं मदं कामं रजो वैरं च पञ्चमम् ||

जहां जुआ सट्टा खेला जाता है वहां कलयिग झूठ के रूप में निवास करता है |जहां मदिरापान होता है वहां कलयुग मद के रूप में निवास करता है जहां भ्यविचार होता है वहां कलयुग काम के रूप में निवास करता है जहां हिंसा होती है वहां कलयुग रजोगुण के रूप में निवास करता है |


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