कथं ब्रह्मन्दीनमुखं- kathan brahmandeenamukham
कथं ब्रह्मन्दीनमुखं कुतश्चिन्तातुरो भवान्।
त्वरितं गम्यते कुत्र कुतश्चागमनं तव ||
( मा.1,26 )
देवर्षि इस प्रकार आप चिंतातुर क्यों हैं इतने शीघ्र तुम्हारे आगमन कहां से हो रहा है और अब तुम कहां जा रहे हो देवर्षि नारद ने कहा-
कथं ब्रह्मन्दीनमुखं- kathan brahmandeenamukham
- आप के लिए यह विभिन्न सामग्री उपलब्ध है-
भागवत कथा , राम कथा , गीता , पूजन संग्रह , कहानी संग्रह , दृष्टान्त संग्रह , स्तोत्र संग्रह , भजन संग्रह , धार्मिक प्रवचन , चालीसा संग्रह , kathahindi.com
आप हमारे whatsapp ग्रुप से जुड़ने के लिए यहाँ क्लिक करें- click here