Mala Jap Kaise Karen
माला जाप कैसे करें?
मंत्र जप करते समय अगूठा, माला एवं मध्यमा अंगुली का परम्पर संघर्षण होता है, जिससे विद्युत ऊर्जा प्रवाह उत्पन्न होता है।
यह प्रवाह मध्यमा उंगली के पोर से होता हुआ सीधा हृदय चक्रों को प्रभावित करता है, जिससे मन निश्चल हो जाता है।
यहां यह बात ध्यान देने वाली है, कि उंगली के पोरों पर नाडी तंत्रिकाएं अत्यन्त ही संवेदशील होती हैं, और किसी भी प्रकार के प्रवाह के लिए स्वीकार्य होती हैं।
हृदि तिष्ठअशांगुलम्, ईश्वरः सर्व भूतानां हृदेशेअर्जुन तिष्ठति।
शरीर में हृदय को ही भगवान का निवास स्थान माना गया है। इसी कारणवश मध्यमा उंगुली से ही मंत्र जप किया जाता है, क्योंकि मध्यमा उंगली की धमनियों का सीधा सम्बन्ध हृदय से होता है।
मंत्र जप का हृदय चक्र से सम्बन्ध होने के कारण ही साधक माला को हृदय स्थल से निकट रखकर अथवा वक्षस्थल से स्पर्श कराते हुए मंत्र जप करते हैं।
Mala Jap Kaise Karen