सर्गश्च प्रतिसर्गश्च /sargashcha prati sargashcha
सर्गश्च प्रतिसर्गश्च वशों मनवन्तराणि च |
वंशाय चरितम् चैव पुराणं पंच लक्षणम् ||
यहां सूक्ष्म सृष्टि स्थूल सृष्टि सूर्य चंद्र आदि के वंश का वर्णन मन्वंतर में होने वाले राजा तथा भगवान के भक्तों के वंश का वर्णन किया गया है ऐसे 5 लक्षणों से युक्त ग्रंथ को पुराण कहते हैं परंतु इस श्रीमद्भागवत में 10 लक्षण इसलिए यह महापुराण है |सर्गश्च प्रतिसर्गश्च /sargashcha prati sargashcha
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