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sachidanand rupaya /सच्चिदानंद रूपाय श्लोक -

bhagwat katha sikhe

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sachidanand rupaya 

सच्चिदानंद रूपाय श्लोक -

sachidanand rupaya   सच्चिदानंद रूपाय श्लोक -

 सच्चिदानंद रूपाय विश्वोत्पत्यादिहेतवे! 

तापत्रय विनाशाय श्री कृष्णाय वयं नम:
( मा.1,1 )

सत स्वरूप चित्  स्वरूप और आनंद स्वरुप जो विश्व की उत्पत्ति पालन और संघार के एकमात्र हेतु है आध्यात्मिक- मानसिक ताप ,आधिदैविक -देवताओं के द्वारा प्रदान किया जाने वाला ताप और आधिभौतिक -प्राणियों के द्वारा प्रदान किए जाने वाला ताप इन त्रिविध तापो  का जो नाश करने वाले हैं ऐसे श्री कृष्णाय श्रियः सहितः कृष्णाय श्री राधा रानी के सहित भगवान श्रीकृष्ण को हम सभी नमस्कार करते हैं|

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सच्चिदानंद रूपाय श्लोक -

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