स्वर्गे सत्ये च कैलाशे /Svarge satye cha kailase
स्वर्गे सत्ये च कैलाशे वैकुणठे नास्तयं रसः |
अतः पिबन्तु सद्भाग्या या या मुञ्चत कर्हिचित् ||
यह भागवत रस स्वर्ग लोक सत्यलोक कैलाश और बैकुंठ में भी नहीं है मात्र पृथ्वी में ही सुलभ है इसलिए सदा इसका पान करो |
स्वर्गे सत्ये च कैलाशे /Svarge satye cha kailase
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