F nigam kalpataru /निगमकल्पतरोर्गलितं फलं - bhagwat kathanak
nigam kalpataru /निगमकल्पतरोर्गलितं फलं

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निगमकल्पतरोर्गलितं फलं 
      शुकमुखादमृतद्रव सयुंतम् |
पिबत भागवतं रसमालयं
      मुहुरहो रसिका भुवि भावुकाः ||

यह वेद रूपी वृक्ष का पूर्ण परिपक्व फल है शुकदेव रूपी तोते के मुंह का स्पर्श हो जाने के कारण यह अमृत द्रव से युक्त है जिसमे छिलका गुठली आदि त्याज्य अन्स  बिल्कुल भी नहीं है इसलिए हे रसिको ,हे भावुको जब तक जीवन है तब तक बारंबार इस भागवत रस का पान करो क्योंकि----

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