वञ्चितोहं महाराज /Vañchitōhaṁ mahārāja
वञ्चितोहं महाराज हरिणा बन्धुरूपिणा |
येन मेपहतं तेजो देवविस्मापनं महत् ||
भैया भगवान श्री कृष्ण ने मित्र का रूप धारण कर मुझे ठग लिया जिन श्री कृष्ण की कृपा से मैंने राजा द्रुपद के स्वयंवर में मत्स्य भेद कर द्रोपती को प्राप्त किया था|वञ्चितोहं महाराज /Vañchitōhaṁ mahārāja
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