तद्वै धनुष्त इषवः /Tadvai dhanuṣta iṣavaḥ
तद्वै धनुष्त इषवः स रथो हयास्ते
सोहं रथी नृपतयो यत आनमन्ति |
सर्वं क्षणेन तदभूदसदीशरिक्तं
भस्मन् हुतं कुहकराद्धमिवोप्तमूष्याम् ||
यह मेरा वही गांडीव धनुष है वही बांण वही रथ वही घोड़े और वही रथी मैं अर्जुन हूं |जिसके सामने बड़े-बड़े दिग्विजयी राजा सिर झुकाया करते थे परंतु श्री कृष्ण के ना रहने पर सब शक्तिहीन हो गए हैं |
सोहं रथी नृपतयो यत आनमन्ति |
सर्वं क्षणेन तदभूदसदीशरिक्तं
भस्मन् हुतं कुहकराद्धमिवोप्तमूष्याम् ||
यह मेरा वही गांडीव धनुष है वही बांण वही रथ वही घोड़े और वही रथी मैं अर्जुन हूं |जिसके सामने बड़े-बड़े दिग्विजयी राजा सिर झुकाया करते थे परंतु श्री कृष्ण के ना रहने पर सब शक्तिहीन हो गए हैं |
तद्वै धनुष्त इषवः /Tadvai dhanuṣta iṣavaḥ
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