F वरीयानेष ते प्रश्नः /vareeyanesh te prashnah - bhagwat kathanak
वरीयानेष ते प्रश्नः /vareeyanesh te prashnah

bhagwat katha sikhe

वरीयानेष ते प्रश्नः /vareeyanesh te prashnah

वरीयानेष ते प्रश्नः /vareeyanesh te prashnah

 वरीयानेष ते प्रश्नः /vareeyanesh te prashnah


वरीयानेष ते प्रश्नः कृतो लोकहितं नृप |
आत्मवित्सम्मतः पुसां श्रोतव्यादिषु यः परः ||

राजन तुमने लोकहित के लिए बड़ा उत्तम प्रश्न पूछा है आत्म ज्ञानी महापुरुष ऐसे प्रश्न की बड़ी प्रशंसा करते हैं शास्त्रों में अनेकों बातें करने एवं सुनने की बताई गई है परंतु जिन्हे आत्म तत्व तत्व का ज्ञान नहीं है |

ऐसी अज्ञानी जो घर गृहस्थी में फंसे हुए हैं जिनकी रात्रि सोने में अथवा स्त्री प्रसंग में व्यतीत हो जाती है  और दिन कुटुंब के भरण पोषण के लिए धन की चिंता में व्यतीत हो जाता है वह प्रतिक्षण मृत्यु की ओर अग्रसर होते हुए भी चेतते नहीं है|

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