F अहं हि सर्वभूतानाम /aham hi sarva bhutanam - bhagwat kathanak
अहं हि सर्वभूतानाम /aham hi sarva bhutanam

bhagwat katha sikhe

अहं हि सर्वभूतानाम /aham hi sarva bhutanam

अहं हि सर्वभूतानाम /aham hi sarva bhutanam

 अहं हि सर्वभूतानाम /aham hi sarva bhutanam


अहं हि सर्वभूतानामादिरन्तोन्तरं बहिः 
भौतिकानां यथा खं वार्भूर्वायुर्ज्योतिरङ्गनाः

गोपियों संसार में जितने भी पदार्थ हैं उनके आदि मध्य और अंत में केवल में ही में विद्यमान हूं मेरे अलावा कुछ है ही नहीं, आप लोग ऐसा अनुभव करो कि मैं सर्वत्र व्याप्त हूं भगवान श्री कृष्ण ने जब इस प्रकार का उपदेश दिया तो गोपियों का जो जीव कोष था वह दूर हो गया और वे भगवत भाव में स्थित हो गई |

 अहं हि सर्वभूतानाम /aham hi sarva bhutanam


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