अहं हि सर्वभूतानाम /aham hi sarva bhutanam
गोपियों संसार में जितने भी पदार्थ हैं उनके आदि मध्य और अंत में केवल में ही में विद्यमान हूं मेरे अलावा कुछ है ही नहीं, आप लोग ऐसा अनुभव करो कि मैं सर्वत्र व्याप्त हूं भगवान श्री कृष्ण ने जब इस प्रकार का उपदेश दिया तो गोपियों का जो जीव कोष था वह दूर हो गया और वे भगवत भाव में स्थित हो गई |
अहं हि सर्वभूतानाम /aham hi sarva bhutanam
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