F न ह्यम्मयानि तीर्थानि /na hyamma yani tirthani - bhagwat kathanak
न ह्यम्मयानि तीर्थानि /na hyamma yani tirthani

bhagwat katha sikhe

न ह्यम्मयानि तीर्थानि /na hyamma yani tirthani

न ह्यम्मयानि तीर्थानि /na hyamma yani tirthani

 न ह्यम्मयानि तीर्थानि /na hyamma yani tirthani


न ह्यम्मयानि तीर्थानि न देवा मृच्छिलामयाः |
ते पुनत्युरुकालेन दर्शनादेव साधवः |

भगवान श्री कृष्ण कहते हैं केवल जलों के तीर्थों में ही तीर्थ नहीं है और मिट्टी पत्थर की मूर्ति ही देवता नहीं है यह सब तो हमें दीर्घकाल की तपस्या सेवा से प्राप्त होते हैं , परंतु संत पुरुषों के दर्शन मात्र से ही जो फल प्राप्त हो जाता है वो अनेकों पूजन से नहीं प्राप्त होता |

 न ह्यम्मयानि तीर्थानि /na hyamma yani tirthani


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