F भगवत्छोतु मिच्छामि /Bhagvatchhōtu michhāmi - bhagwat kathanak
भगवत्छोतु मिच्छामि /Bhagvatchhōtu michhāmi

bhagwat katha sikhe

भगवत्छोतु मिच्छामि /Bhagvatchhōtu michhāmi

भगवत्छोतु मिच्छामि /Bhagvatchhōtu michhāmi

 भगवत्छोतु मिच्छामि /Bhagvatchhōtu michhāmi


भगवत्छोतु मिच्छामि नृणां धर्म सनातनम् |
वर्णाश्रमाचारयुतं यत पुमान्विन्दते परम् ||

हे देवर्षि मैं आपसे मनुष्य के वर्ण एवं आश्रमों के धर्मों को सुनना चाहता हूं जिनका पालन करने से मनुष्य परम पुरुष परमात्मा को प्राप्त कर लेता है |देवर्षि नारद कहते हैं- धर्मराज, ब्राह्मण,क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र यह चार वर्ण होते हैं |

 भगवत्छोतु मिच्छामि /Bhagvatchhōtu michhāmi


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